वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी में लोक आस्था के पर्व डाला छठ की खुशियां ओर उमंग आस्था चहुंओर छलक रही हैं।
सात वार और 9 त्यौहार के आनन्द और मस्ती को अपने सीने में सहेजे बाबा नगरी में गंगा तट कुण्ड सहित घरो में ‘कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय, जल्दी जल्दी उग ए सुरूज देव, भई गेल अरघ क बेला, उ जे बाट जे पुछेला बटोहिया, बहंगी केकरा के जाय, तु जे आन्हर हउवे रे बटोहिया, बहंगी छठी मइया के जाय जैसे पारम्परिक कानों में रस घोलने वाले पारम्परिक गाने गूंज रहे हैं। चहुंओर छठ मइया के आराधना की धूम है।
पर्व के दुसरे दिन खरना और संझवत पर सोमवार को दिनभर निर्जला व्रत रहने के बाद महिलाओं ने संध्या समय में गंगा स्नान कर छठी मइया की पूजा विधि-विधान से करने के बाद उन्हें रसियाव, खीर, शुद्ध घी लगी रोटी, केला का भोग लगाया। फिर इस भोग को स्वयं खरना ग्रहण किया।
खरना के बाद सुहागिनों की मांग भरकर उन्हें सदा सुहागन रहने की आशिष देती रही। इस दौरान व्रती महिलाओं का पैर छुने आर्शीवाद लेने के लिए पड़ोस और रिश्तेदारी की महिलाएं भी जुटी रही। खरना का प्रसाद पाकर अपने को धन्य भी समझा। इसी के साथ 36 घंटे का निराजल कठिन व्रत भी शुरू हो गया।
मंगलवार की अपरान्ह व्रती महिलाएं छठ मइया की गीत गाते हुए सिर पर पूजा की देउरी रख गाजे बाजे के साथ सरोवर नदी गंगा तट पर जायेगी। और समुह में छठ मइया की कथा सुन अस्ताचंलगामी सूर्य को अध्र्य देकर घर लौटेगी। बुधवार को उदयाचलगामी सूर्य को अध्र्य देकर ब्रत का पारन करेंगी।
डाला छठ का व्रत रखने वाली हुकुलगंज की श्रद्धालु आराधना, अनुपमा मिश्रा, पुर्णिमा राय, गीता सिंह, विभा झा, कनकलता ने बताया कि उनके परिवार में डाला छठ व्रत का चैथा साल है।
व्रत के महत्व के बारे में उन्हें अपनों से जानकारी मिली है। कहा कि हमारा मानना है कि सच्चे मन से व्रत रखकर मांगी जाने वाली हर मुराद छठ माता व भगवान आदित्य जरूर पूरी करते हैं।
उधर पर्व पर पूजा से संबंधित अन्य सामानों के साथ फलों के दाम भी आसमान छू रहे हैं डाला छठ पर्व पर व्रती महिलाएं भगवान सूर्य को अमूमन हर फल प्रसाद के रूप में सेब, संतरा, अनार से लेकर चकोतरा, सिंघाड़ा, गन्ना आदि चढ़ाती हैं।
गन्ने को तो बाकायदा वेदी पर मंडप के तौर पर लगाया जाता है। छठ को देखते हुए फलों के दाम में अचानक पिछले सप्ताह भर में 30 से 35 प्रतिशत की वृद्धि हो गयी है। ऐसे में जहां फल विक्रेताओं को उसे बेचने में समस्या हो रही है, वहीं खरीददार भी बढ़े दामों के कारण परेशान दिखाई दे रहे हैं।
पूजा अर्चना की बात है इसलिए लोग फल तो खरीद ही रहे हैं, हां ये जरुर है कि पहले जो चींजे अगर 5 किलो खरीदी जाती थी उसे अब 3 से 4 किलो तक कर दिया है लेकिन पूजा को लेकर उनके उत्साह कहीं कम नहीं है। इस बारे में बात करते हुए चन्दुआ सट्टी के फल विक्रेता किशन सोनकर ने बताया, “छठ पर्व के कारण फलों के दाम बढ़ गए हैं।
तीन से चार दिन में लगभग सभी फलों के दाम में 30 से 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। फलों के दाम में अभी और भी बढ़ सकते हैं। पहले की अपेक्षा सभी फलों की मांग बढ़ी हैं, जिसके कारण दामों में तेजी आई है। जो केला चार दिन पहले 30 रुपये दर्जन था, वह बढ़कर 45 से 50 रुपये दर्जन हो गया है। इसी तरह सेब 80 से बढ़कर 100 रुपये, अनार 110 से बढ़कर 140, अनानास 45 से बढ़कर 60 रुपये, संतरा 50 से बढ़कर 70 रुपये एवं पपीता 35 से बढ़कर 50 रुपये किलो तक हो गया है।
डीरेका में चढ़ा छठ मइया के भक्ति का रंग
डाला छठ के मद्देनजर डीरेका के इस सूर्य सरोवर में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सरोवर की साफ-सफाई से लेकर वहां रंगाई पुताई होने से अलग ही आाभा व्याप्त है। यहीं नहीं सरोवर पर हर ओर श्रद्धालुओं की ओर से वेदियां बना दी गयी हैं।
लोगों ने अपनी वेदियां बनाकर अपने नाम लिखकर अपने स्थान को बुक कर लिया है। वेदियों को भी रंग रोगन करने का काम यहां तेजी से चल रहा है। इसके अलावा पूरे सूर्य सरोवर को लाइट और झालरों से सजाने का काम भी अन्तिम दौर में हैं। यहां अस्ताचलगामी सूर्य और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए 50 हजार से अधिक महिलाओं और श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है।