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पारंपरिक गीतों के बिना अधूरा है सूर्योपासना का व्रत छठ - Sabguru News
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पारंपरिक गीतों के बिना अधूरा है सूर्योपासना का व्रत छठ

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पारंपरिक गीतों के बिना अधूरा है सूर्योपासना का व्रत छठ
Chhath Puja 2017: songs you can listen to during the festival
Chhath Puja 2017: songs you can listen to during the festival
Chhath Puja 2017: songs you can listen to during the festival

पटना। सूर्योपासना और लोकआस्था के महापर्व छठ की कल्पना कर्णप्रिय और सुमधुर गीत के बिना नहीं की जा सकती। इन पारंपरिक गीतों के जरिए न केवल भगवान की अराधना की जाती है, बल्कि इन गीतों के जरिए कई संदेश भी देने की कोशिश की जाती है।

चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को लेकर ऐसे तो कई गायक और गायिकाओं ने गीत गाए और लिखे हैं, परंतु चर्चित गायिका शारदा सिन्हा और अनुराधा पौडवाल के गीत आज भी घरों से लेकर छठ घाठों तक लोगों द्वारा सुने और गाए जाते हैं।

भगवान भास्कर की अराधना के छठ पर्व पर ‘पद्मश्री’ और ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रसिद्घ शारदा सिन्हा द्वारा गाया गीत ‘हो दीनानाथ’ आज भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए इस व्यस्त शहरी जिंदगी से समय निकालकर लोगों को भी छठ को अपनाने की बात कही गई है।

इसके अलावा गायिका अनुराधा पौडवाल की आवाज में ‘मारबै रे सुगवा’ भी काफी चर्चित गीत है। इस गीत के जरिए सुग्गा (तोते) को चेतावनी दी गई है कि वह भगवान के प्रसाद चढ़ाने के पहले फल को चोंच न मारे, वरना उसे मारा जा सकता है। इस गीत में भगवान को सर्वश्रेष्ठ मानकर उनकी अराधना की गई है।

इसी तर्ज पर शरादा सिन्हा द्वारा गाया गीत, ‘केलवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेंडराय’ भी काफी चर्चित रहा है। इस गीत के जरिए भी तोते को हिदायत दी जाती है कि अगर पवित्रता भंग की तो इसका बुरा फल मिलेगा।

भोजपुरी सिनेमा के फिल्म समीक्षक रंजन सिन्हा कहते हैं कि लोक आस्था के महापर्व छठ सुख-समृद्घि और मनोवांछित फल की कामना पूर्ण करने के लिए किया जाता है। इस पर्व में छठ गीतों का अपना खास महत्व होता है। गीतों में ही पूजा का पूरी विधि और महत्ता बताई गई है।

वैसे, छठ के गीतों में संदेश भी छिपा हुआ है। छठ पर्व के गीतों में बेटियों को विशेष महत्व दिया गया है। छठ पूजा के गीतों में बेटियों का स्वागत करते हुए ईश्वर से उनके मंगल की गुहार लगाई गई है। ‘रूनकी धुनकी बेटी मांगी ला, पढ़ल पंडितवा दामाद हे छठी मईया’ के जरिए छठी मईया से सुंदर, सुशील बेटी और विद्वान दामाद की कामना की जाती है।

इसी तरह ‘पांच पुतुर अन्न, धन, लक्ष्मी धियवा मांगबो जरूर’ में छठी मईया से यह प्रार्थना की गई है कि पांच पुत्र, अन्न, धन, लक्ष्मी और वैभव के साथ एक धियवा (बेटी) जरूर दें।

इसी तरह कर्णप्रिय गीत ‘हे छठी मईया’ न केवल व्रतियों (परबैतिनों) में ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि ये भी बताता है कि इस पर्व में जात पात का फर्क मिट जाता है। इस गीत में यह भी बताया गया है कि कैसे छोटी मोटी गलतियों को छठी मईया नजरअंदाज कर देती हैं।

लोक गायिका देवी के गाए छठ गीतों के अलबम ‘कोसी के दीवाना’, बहंगी छूट जाई’ की काफी मांग है। गायक पवन सिंह, कल्लू, आकांक्षा राय के गाने भी लोग पसंद कर रहे हैं।

इधर, गायक राकेश मिश्र कहते हैं कि पारंपरिक गीतों में छठी मईया की महिमा का बखान किया गया है, बल्कि गीतों में इस पर्व को करने का तरीका भी बताया गया है। उनका कहना है कि लोक और पारंपरिक गीतों के बिना छठ पर्व अधूरा होगा।