कटनी। 75 साल के कल्पनाथ, 1962 में कटनी स्थित भारत सरकार के आर्डीनेंस फैक्ट्री में बतौर आर्मेचर वेंडर सेवाएं शुरू की। नौकरी लगते ही बिहार के छपरा जिले के बड़वा गांव से कल्पनाथ पत्नी सुशीला सिंह के साथ यहां आ गए थे।
इस बीच हर साल पड़ने वाले छठ पूजा पर पत्नी बिहार चली जाती थी। सिलसिला लगातार चार सालों तक चला। इसके बाद कल्पनाथ ने तय किया अब छठ पूजा करने पत्नी बिहार नहीं जाएगी।
इसके लिए आर्डीनेंस फैक्ट्री द्वारा उपलब्ध कराए गए आवास के पीछे कुछ दूरी पर स्थित सिमरार नदी तक जाने के लिए उन्होंने रास्ता बनाया और सिमरार नदी पर पत्थर रखकर छोटा सा घाट तैयार किया।
कल्पनाथ ने बताया कि उस समय यहां घना जंगल था। रास्ता बनाने के लिए पहले साल तो बांस व जंगल की दूसरी झाड़ियों को काटकर चलने लायक पगडंडी तैयार किया और सिमरार नदी पर पूजा करने के लिए पत्थर रखकर छोटा सा घाट बनाया।
बात करीब 47 साल पहले की है। उस साल जब छठ पर्व आया तो पत्नी से कहा कि अब हम भगवान सूर्य की उपासना पर्व साथ मिलकर मनाएंगे। पत्नी ने पूंछा कहां पर मनाएंगे तो तैयार किया गया रास्ता और घाट दिखाया।
उसे देखकर सुशीला ने भी कहा कि हमें भी थोड़े न बिहार में अकेले छठ मनाना अच्छा लगता था। उसके बाद से हर साल इसी घाट पर छठ पर्व मनाने लगे।
करीब 12 साल पहले कलेक्टर अनुपम राजन ने इसी घाट पर छठ पूजा की और घाट तैयार करवाए। चक्की घाट या हनुमान घाट के नाम से जाने वाले इस स्थान के विकास में तत्कालीन महापौर संदीप जायसवाल ने भी मदद की।
2013 में पत्नी सुशीला का साथ भी छूट गया। अब छठ पर्व आने पर यादों के सहारे तैयारी करना अच्छा लगता है। कल्पनाथ कहते हैं कि छठ पूजा पर कटनी के सिमरार नदी का यह घाट ही मुझे गंगा का अहसास दिलाती है।
स्थानीय पार्षद दिनेश मिश्रा ने बताया कि कल्पनाथ सिंह की रूचि घाट और नदी के विकास को लेकर हमेशा से रही है। छठ पर्व पर तो उनके अनुभव के सहारे ही तैयारी के कई काम आसानी से हो जाते हैं। कई साल पहले एक-एक पत्थर एकत्रित कर घाट तैयार करने के उनके संकल्प की चर्चा आज भी समाज के लोग करते हैं।