जगदलपुर। पुलिस की आक्रामकता नक्सलियों पर दबाव बनाने में काफी कारगर साबित हुई है। अब स्थिति यह है कि नक्सली पूरी तरह से बैकफुट पर है। केंद्र व राज्य सरकार ने भी नक्सलवाद के उन्मूलन पर पुख्त नीति बनाई है।
वहीं दूसरी ओर किसी फिल्मी कहानी की तर्ज पर नक्सली नेताओं में फूट पड़ी है और वे अपने प्यार को परवान चढ़ाने भाग निकलने का प्रयास करते हैं तो कहीं दुर्दांत नक्सलियों का हृदय परिवर्तन भी कहीं न कहीं बॉलीवुड की कहानियों पर आधारित नजर आता है।
जिस तरह से नक्सलवाद में अब फिल्मी झलक दिखाई पडऩे लगी है। वहीं फिल्म का सुखांत अंत की तरह प्यार करने वाले नक्सली जोड़े पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर विवाह सूत्र में बंधते नजर आ रहे हैं।
यूं तो फिल्मों मेें हकीकत की छाप होती है। यही उसका आधार भी होता है। किसी वास्तविक घटना पर पटकथा लिखकर इस पर अभिनेता व अभिनेत्री पर्दे पर नजर आते है और उस स्थिति को सुनहरे पर्दे पर दिखाते हैं।
फिल्मों में नायक खलनायक पर भारी पड़ जाता है और अंत में खलनायक का खात्मा कर नायक जीत हासिल करता है। यह तो हुई फिल्मी दुनिया की बाते, लेकिन वास्तविक जीवन में भी कई बार ऐसा नहीं हो पाता।
वास्तविक जीवन में कई बार खलनायक ही नायक पर भारी पड़ता नजर आता है। आखिर कई मामलों में वे जीत हासिल करते भी है। इस बार भी बस्तर के नक्सलवाद में बॉलीवुड की छाप नजर आ रही है।
जंगलों की खाक छान रहे आंतक का पर्याय बने नक्सली हृदय परिवर्तन के बाद समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला करते हुए शांति का जीवन व्यतीत करने का प्रत्यन करता है। कुल मिलाकर बस्तर में नक्सलियों के हालात भी अब बालीवुड से मेल खा रहे हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार कोसी व लक्ष्मण के विवाह के बाद और भी जोड़े पुलिस के संपर्क में है जो अपने प्रेम को हासिल करने छटपटा रहे हैं। नक्सलियों को काफी राज पुलिस तक पहुंच गए हैं और इस संबंध में मुखबिरों की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता।
पुलिस भी अपने मुखबिर नक्सलियों के संगठन में शामिल करने में कामयाब रही है। जिसके चलते उनकी सारी हरकत व लोकेशन की जानकारी पुलिस को मिल रही है।
पिछले दिनों मारडूम थाना क्षेत्र के इलाके में हुई मुठभेड़ के दौरान कई फिल्मों की सीडियां पुलिस ने बरामद की थी। इसके अलावा नक्सलियों के कैम्प से हिन्दी व अंग्रेजी फिल्मों की सीडियां मिलती हैं।
इससे यह मालूम होता है कि अब नक्सली भी अब बॉलीवुड के पैंतरे भी सीखते चले जा रहे हैं। पुलिस को चकमा देने सहित अन्य वारदातों को अंजाम देने सहित इन्हीं फिल्मों का सहारा नक्सलियों द्वारा लिया जा रहा है।