रायपुर। छत्तीसगढ़ में दो विधायकों के निलम्बन के साथ ही कांग्रेस में घमासान काफी तेज होने के आसार है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल की अध्यक्षता वाली अनुशासन समिति ने दो विधायकों आरके राय तथा सियाराम कौशिक को बुधवार को निलम्बित कर कड़ा सन्देश दिया है। इस कार्रवाई के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को झटका देने की कोशिश की गई है।
अनुशासन समिति के तीन सदस्यों के कड़ विरोध के बावजूद बघेल ने विधायकों के निलम्बन का आदेश पारित कर जोगी गुट को लगभग साफ संकेत दे दिया कि प्रदेश कांग्रेस में अब उनकी ही चलेगी और जोगी के साथ चलने वालों को मौका मिलने पर कतई बख्शा नहीं जाएगा। पार्टी सूत्रों ने यूनीवार्ता से कहा कि इस कार्रवाई से पार्टी को भले ही नुकसान हो लेकिन इससे जोगी समर्थकों का मनोबल जरूर कमजोर होगा। विधायक दल में कई विधायक श््री जोगी के समर्थक है जिनको पिछले चुनाव में टिकट दिलवाने में उन्होने लाबिंग की थी। इसके जरिए उन्हे भी संकेत दे दिया गया है कि प्रदेश कांग्रेस की अनदेखी उन्हेे महंगी पडेगी।
गुन्डरदेही से विधायक राय पर कांग्रेस कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के बारे में सार्वजनिक टिप्पणी करने का जबकि बिल्हा से विधायक सिया राम कौशिक पर निकाय चुनावों में टिकट वितरण को लेकर प्रदेश संगठन पर आरोप लगाने का आरोप है। इन पर यह भी आरोप है कि इनके द्वारा आरोपों के बारे में प्रदेश कांग्रेस द्वारा कारण बताओ नोटिस का भी जवाब नहीं दिया। दोनों विधायकों का कहना है कि नोटिस उनको मिली ही नहीं इस कारण उनके जवाब देने का प्रश्न ही नहीं उठता है। जबकि जानकारों का मानना है कि नोटिस मिलने के बाद भी जवाब इनके द्वारा कहीं से मिले आश्वासन के चलते नहीं दिया गया। इसके चलते अनुशासन समिति को उनके खिलाफ कार्रवाई का मौका मिल गया।
जानकारों के अनुसार अगर इनके द्वारा नोटिस का जवाब दिया गया होता तो शायद उनके खिलाफ कार्रवाई आसान नहीं होती। अनुशासन समिति में तीन सदस्यों धर्मजीत सिंह, धनेश पाटिला एवं बिलासपुर की पूर्व महापौर वाणी राव ने निलम्बन का कड़ा विरोध किया पर बघेल ने उनकी आपत्ति को नजरदंाज कर दिया। दरअसल प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व संभालने के बाद अपने लगभग एक साल के कार्यकाल में बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री जोगी को सभी मौकों पर झटका देने की कोंशिश की है। हालांकि इस प्रयास में उनकोे अन्तागढ विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी मन्तूराम पवार के नाम वापसी के आखिरी दिन नाम वापस लेने से करारा झटका भी लगा था।
बघेल ने कार्यकारिणी के गठन में भी जोगी समर्थकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। जोगी ने अपने समर्थकों की सूची पार्टी अध्यक्ष सोनिया गंाधी को दी थी पर बघेल ने जोगी के दिए नामों पर विचार ही नहीं किया। हाल ही में हुए निकाय चुनाव में जोगी से जुडे लोगों को प्रदेशभर में टिकट नहीं दी गई। जोगी ने विरोध स्वरूप इन चुनावों में अपने को प्रचार से दूर कर लिया। पिछली बार के कब्जे वाले बडे नगर निगम बिलासपुर के साथ ही राजनांदगंाव में पार्टी प्रत्याशियों के हारने के बावजूद रायपुर नगर निगम में कब्जा बरक रार रखने तथा अम्बिकापुर एवं जगदलपुर नगर निगमों में कब्जे ने पार्टी को राहत दी और बघेल ने इसे अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में आलाकमान के समक्ष पेश किया।
जानकारों के अनुसार देश में हर तरफ से आ रही निराशा भरी खबरों से जूझ रही निकाय चुनाव की आशा भरी इस खबर ने कम से कम राहुल एवं उनके सिपासालारों को काफी राहत दी। गंाधी और उनकी टीम की नजर में बघेल की स्थिति मजबूत हो गई है और वह यह भी गंाधी को विश्वास दिलाने में सफल रहे है कि जोगी की वजह से पार्टी राज्य में कमजोर हुई है। जोगी के प्रति राहुल की टीम का अच्छा रवैया वर्षो से नहीं रहा है। हालांकि जोगी को कांग्रेस अध्यक्ष गंाधी का आर्शीवाद हमेशा माना जाता रहा है इस क ारण तमाम कोशिशों के बाद भी न तो राहुल की टीम और न ही प्रदेश संगठन में उनके विरोधी उनको दरकिनार नहीं कर सके। पर अब लगता है कि सोनियाी गंाधी की बजाय राहुल गंाधी की ज्यादा चल रही है।
बघेल एवं जोगी ने बीच टकराहट लगभग 12 साल पुरानी है। जोगी के मुख्यमंत्री रहते बघेल ने उनके मंत्रिमंंडल का सदस्य होकर भी उनके खिलाफ मुहिम चलाई थी। तब से शुरू हुआ यह विरोध लगता है कि राजनीतिक से हटकर अब व्यक्तिगत होेता जा रहा है। बघेल की नजदीकी टीम में मीडिया प्रभारी शैलेश नितिन त्रिवेदी जैसे कई ऎसे सदस्य है जिनकी जोगी से व्यक्तिगत लड़ाई है। इसे समय का फेर कहे या फिर जोगी को उन्हीं के पूर्व विश्वस्तों के जरिए जवाब देने की रणनीति जो भी हो, बघेल अब जोगी पर भारी होते नजर आ रहे हैं। विधायकों के निलम्बन के बाद अब जोगी इस मसले को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गंाधी के सामने जरूर पेश करेंगे और वह शिकायत भी करेंगे कि उनके समर्थकों को निशाना बनाया जा रहा है।
जानकारों का मानना है कि बघेल ने राहुल को विश्वास में लेकर यह कार्रवाई की है अन्यथा वह प्रभारी महासचिव की संस्तुति के बगैर विधायकों के निलम्बन की परम्परा की अनदेखी नहीं करते। प्रदेश प्रभारी हरिप्रसाद से भी जोगी से छत्तीस का आकड़ा है इस कारण विधायकों को फिलहाल जल्द राहत मिलने के आसार नहीं है। फिलहाल जोगी राज्य में जनाधार वाले नेता माने जाते हैं। इस समय वह इकलौते कांग्रेस नेता है जो अपनी सभाओं में भीड़ जुटाने का सामर्थ रखते हैं। जानकारों का मानना है कि बघेल वर्चस्व की लड़ाई में जोगी को इस समय मात देने में भले ही सफल हो जाएं लेकिन इससे कांग्रेस को भारी नुकसान होगा।