रायपुर। शॉर्ट फिल्मों के महारथी छत्तीसगढ़ के तुषार वाघेला की चार फिल्मों का प्रदर्शन जुलाई महीने में रूस, कनाडा और मेक्सिको की फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित होगी। ये फिल्में हैं- ‘द होम’, ‘सैमी के जंगल का मृत्युगीत’, ‘द घोस्ट टेक्सोनोमी’ और ‘सी यू इन द फ्यूचर’।
इन फिल्मों में से ‘सी यू इन द फ्यूचर’ का प्रदर्शन 28 जुलाई को कनाडा के डंकन शहर में ‘द ओयु गैलरी’ द्वारा आयोजित शार्ट फिल्म फेस्टिवल में किया जाएगा। इस फिल्म का वल्र्ड प्रीमियर होगा।
इस फिल्म के सिनेमेटोग्राफर और सहायक निर्देशक तुषार के बेटे तारुष वाघेला है, जो महज 12 साल के हैं और अभी डीपीएस भिलाई में सातवीं कक्षा के छात्र हैं। यह पिता और पुत्र के ऊपर फिल्माई एक तरह की साइंस फिक्शन कॉमेडी फिल्म है। तुषार ने पहली बार इस फिल्म में अभिनय किया है।
तुषार ने बताया कि जुलाई बहुत उत्सव भरा रहेगा। हमारी चार फिल्में इस माह तीन अलग अलग देशों में प्रदर्शित की जा रही है। पर हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात हमारे टीम के सबसे कम उम्र के सदस्य तारुष द्वारा कैमरा शूट और असिस्ट की गई फिल्म का चयन और 28 जुलाई को कनाडा में प्रदर्शन है।
उन्होंने फिल्म के विषय में बताया कि इस फिल्म का पात्र सोचता है कि समय क्या है, क्या यह वर्तमान, भूतकाल या भविष्य है? पर वर्तमान का यह क्षण जिसका आना और जाना दोनों एक साथ है समय का हिस्सा ही नहीं है।
भूतकाल केवल हमारी स्मृतियों में ही होता है और भविष्य केवल कल्पनाओं में, फिर समय क्या है? और वर्तमान के इस पल में भी मैं केवल भविष्य की योजानाओं में ही खोया हूं। मैंने अब तक जीवन को केवल ऐसे ही जिया है, मैं केवल भविष्य में ही रहता हूं।
तुषार बताते हैं कि रूस के अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव नाओ एंड आफ्टर वीडियो आर्ट फेस्टिवल में फिल्म ‘द होम’ का प्रदर्शन सेंटर फॉर क्रियेटिव इंडस्ट्रीज फैब्रिका संग्रहालय मास्को में पांच जुलाई से 30 जुलाई तक होगा।
2015 में इस फिल्म ने यहां फेस्टिवल में तृतीय पुरस्कार जीता था। इस वर्ष फेस्टिवल का थीम फ्लेशबैक 2017 है और वे अपनी अब तक की सारी पुरस्कृत फिल्मों का बतौर सम्मान इस वर्ष फिर से प्रदर्शन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि एमएमए (मोइस्त्रा मोविमेंटो ऑडियो विजुअल) तृतीय अंतर्राष्ट्रीय वीडियो आर्ट एवं डांस फिल्म फेस्टिवल मेक्सिको में उनकी दो फिल्मों सैमी के जंगल का मृत्युगीत और द घोस्ट टेक्सोनोमी का चयन किया गया है। इसका प्रदर्शन तीन से 15 जुलाई के बीच किया जाएगा।
‘सैमी के जंगल का मृत्युगीत’ फिल्म के विषय में तुषार ने कहा कि मेरा 5 वर्ष का छोटा बेटा सैमी हमेशा जंगल घूमने जाना चाहता है। वह अपने नन्हे खिलौनों के सिंह, शेर, ध्रुवीय भालू, गोरिल्ला से खेलता है और उसे पूरा यकीन है कि कहीं दूर असली जंगल में यह सारे जानवर मौजूद हैं। पर जिस गति से आज हमारे जंगल नष्ट हो रहें हैं, क्या सैमी के मेरी उम्र के होते तक यह जानवर उन जंगलों में सच में जीवित रहेंगे?
वहीं ‘द घोस्ट टेक्सोनोमी’ फिल्म के विषय में उन्होंने बताया कि यह फिल्म भारतीय अर्थव्यवस्था पर आधारित है। आर्थिक अनियमितताओं के कारण भारत में हर व्यक्ति अपने आप में एक वर्ग हो गया है, जैसे आप किसी होटल में खाना खाते हैं हो सकता है। होटल के खाने का बिल किसी व्यक्ति के एक दिन की आमदनी हो, किसी की एक माह की और किसी को उतना धन इकठ्ठा करने में एक वर्ष भी लगा लग सकता है।
उन्होंने कहा कि हमारा समाज एक ऐसे समाज में परिवर्तित हो चुका है जहां मनुष्य को उसकी आर्थिक क्षमताओं से सम्मानित, अपमानित या प्रेम किया जाता है।