रायपुर। छत्तीसगढ़ में विभिन्न हादसों में घायल गायों को अस्पताल पहुंचाने के लिए 10 जिलों में एंबुलेंस सेवा शुरू की जाएगी और 10 सबसे अच्छी गोशालाओं का चयन कर उन्हें दस-दस लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।
यह बात प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार योजना गौसेवा आयोग के जरिए इस वर्ष से संचालित की जाएगी। डॉ. सिंह रविवार देर शाम राज्य गौसेवा आयोग की ओर से गौ-आधारित जैविक कृषि और ग्राम विषय पर राज्यस्तरीय व्याख्यानमाला के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। यह एक दिवसीय आयोजन पं. रविशंकर शुक्ल के सभागृह में किया गया।
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि गौसेवा में ग्रामीणों की भागीदारी के कारण छत्तीसगढ़ में गोवंश की सघनता देश में सबसे ज्यादा है। राज्य में लगभग 90 लाख गौवंशीय पशु हैं। मुख्यमंत्री ने देश में खेती के मशीनीकरण की वजह से देश में गौवंश आधारित अर्थव्यवस्था के प्रति लोगों का रुझान कम होने पर चिंता व्यक्त की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैविक खेती और गोबर गैस के इस्तेमाल से गौ-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है। गोमूत्र और गोबर से बंजर जमीन भी उपजाऊ बन जाती है। पंचगव्य की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए इसे बेहतर ब्रांडिंग एवं वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ बाजार में उतारना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गौसेवा आयोग की ओर से गौशालाओं का निरीक्षण कर वहां पानी, छाया, चारा की व्यवस्था का अवलोकन किया जाएगा। कामधेनु विश्वविद्यालय की ओर से पंचगव्य के उपयोग के संबंध में शोध कराया जाएगा।
रमन सिंह ने कहा कि पशुपालक गायों को सड़कों पर खुले नहीं छोड़ें, इसके लिए उन्हें समझाया जाना चाहिए। गौसेवा से घर के वातावरण में परिवर्तन आता है। मेरी दिनचर्या की शुरुआत अपने निवास में गायों और बछड़ों के साथ आधा घंटा बिताकर होती है। जब मैं सुबह पैदल भ्रमण करता हूं तो गायों के छोटे बछड़ों को खुला छोड़ देता हूं। बछड़ों को देखकर नई ऊर्जा और ताजगी मिलती है।
व्याख्यानमाला में प्रदेश की पंजीकृत गौशालाओं के सदस्यों एवं गौसेवा से जुड़े लोगों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।