रायपुर। सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया प्रकरण में सरकार के खिलाफ पोस्टर लगना बस्तर पुलिस रेंज के महानिरीक्षक शिवराम प्रसाद कल्लूरी को महंगा पड़ गया।
बेला भाटिया के घर पर प्रदर्शन के बाद दिल्ली तक बवाल मचा तो सरकार ने बेला से मिलने के लिए रायपुर से गृह सचिव बीबीआर सुब्रमण्यम और स्पेशल डीजी नक्सल ऑपरेशन दुर्गेश माधव अवस्थी को जगदलपुर भेजा लेकिन अग्नि संस्था को यह नागवार गुजरा। उसने जगह-जगह पोस्टर लगवा दिया कि सरकार बेला भाटिया को प्रोटेक्शन देना बंद करें।
उल्लेखनीय है कि माओवादियों के खिलाफ जनसमर्थन जुटाने के लिए कल्लूरी ने बस्तर में अग्नि नामक संस्था का गठन करवाया था। अग्नि दिनोंदिन आक्रमक होती जा रही थी। एक तरह से कहें तो बस्तर में नक्सलियों के समानांतर अग्नि का आतंक कायम होता जा रहा था।
अग्नि के कार्यकर्ताओं ने ही बेला भाटिया के घर पर प्रदर्शन किया था और यही अग्नि ही बस्तर आईजी की बिदाई की वजह बन गई। वैसे तो बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी की बिदाई की पृष्ठभूमि एक नवंबर को ही तैयार हो गई थी। जब गृह सचिव सुब्रमण्यम ने बिना किसी को विश्वास में लिए बस्तर आईजी को रातोंरात रायपुर बुलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलवाया था।
सरकार के अन्य आला अधिकारियों को यह नागवार गुजरा। हाल ही में राज्य सरकार ने सुंदरराज पी. को दंतेवाड़ा का डीआईजी बनाया। मगर आदेश पूरी तरह स्पष्ट नहीं था। आदेश में लिखा गया कि सुंदरराज का मुख्यालय जगदलपुर होगा। जबकि, दंतेवाड़ा डीआईजी का जो कैडर पोस्ट है उसका हेडक्वार्टर दंतेवाड़ा है और उसमें तीन जिले आते हैं दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर।
सुंदरराज का हेडक्वार्टर जगदलपुर बनाने से संदेश साफ था कि सुंदरराज ही बस्तर पुलिस के नए बॉस होंगे। आदेश में कल्लूरी की स्थिति को साफ नहीं किया गया। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि बस्तर धुर नक्सल प्रभावित इलाका है। सरकार ऐसा कोई मैसेज नहीं देना चाहती जिससे माओवादियों का हौसला बढ़े। लिहाजा, कल्लूरी के बारे में भ्रम की स्थिति बनी रही।
किसी ने कहा, बीमारी का इलाज कराने जा रहे हैं तो किसी ने कहा, बेमुद्दत छुट्टी पर चले गए हैं। बहरहाल, सरकार ने साफ किया है कल्लूरी अब बस्तर नहीं लौटेंगे। कल्लूरी की कार्यप्रणाली भले ही विवादास्पद रही हो लेकिन बस्तर की कमान संभालने के बाद कल्लूरी ने नक्सलियों को बैकफुट पर जाने को मजबूर कर दिया। माओवादी हिंसा में न केवल कमी आई बल्कि फोर्स पहली बार जंगलों में घुसकर नक्सली कैंपों को ध्वस्त किया।
यह भी सच है कि कल्लूरी और विवादों का पुराना नाता रहा है। फर्जी एनकांउटर से लेकर पीसीसी चीफ भूपेश बघेल को चुनौती, नंदिनी सुंदर के खिलाफ हत्या का मुकदमा, मानवाधिकार के अनेक केस, अल्पज्ञात महिला बेला भाटिया को मशहूर बनाना, ऐसे ढेरों विवादों से वे घिर गए थे। नक्सलियों के खिलाफ उनकी लड़ाई को देखते सरकार उन्हें बनाए रखने के पक्ष में रही।
सीएम भी कई मौके पर कह चुके थे कि कल्लूरी को हटाने का सवाल ही नहीं है। मगर बेला भाटिया मामले में सरकार का ही विरोध शुरू हो गया तो फिर सरकार ने कल्लूरी को ऐसे बोल्ड किया कि लोगों को यह समझने में चौबीस घंटे से अधिक समय लग गया कि बॉल किधर से आई और विकेट कैसे गिर गया।
कल्लूरी को लेकर अलग-अलग बयान मुख्यमंत्री रमन सिंह के मुताबिक कल्लूरी की छुट्टी का फैसला उनके स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से लिया गया है। उनकी किडनी का ट्रांसप्लांट होना है। उनकी तबीयत ठीक होने के बाद ही कहा जा सकेगा कि वो कहां रहेंगे। दूसरी ओर राज्य के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने कल्लूरी के छुट्टी पर जाने के फैसले पर अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि कल्लूरी अभी बस्तर में ही रहेंगे। उनके सहयोग के लिए एक डीआईजी की वहां पोस्टिंग की गई है।
सरकार के इन दलीलों के अलग कांग्रेस ने कल्लूरी को छुट्टी पर भेजने को अघोषित रूप से बस्तर से विदाई बताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने आशंका जताई है कि कल्लूरी को इस समय छुट्टी पर भेजा जाना सरकार का षडयंत्र भी हो सकता है, ताकि चुनाव के समय उन्हें दोबारा बस्तर में पदस्थ किया जा सके।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी मानते हैं कि स्वास्थ्य ही मूल वजह है जिसकी वजह से उन्हें छुट्टी मिली है। हालांकि अजीत जोगी ने इस बात को स्वीकार किया कि कल्लूरी के खिलाफ कोर्ट से लेकर सड़क तक इतने विरोध बढ़ रहे थे कि सरकार को कड़ा कदम उठाना ही था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक के मुताबिक जिस कल्लूरी की राजनीतिक दलों की तरफ से आलोचना की जा रही है उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि कल्लूरी ने ही सरगुजा से नक्सलियों का खात्मा किया था।
बहरहाल, इस हकीकत को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि कल्लूरी की दोनों किडनी खराब है। उसका ट्रांसप्लांट होना है। मगर बाईपास ऑपरेशन के तीन महीने पहले किसी तरह के ऑपरेशन की मनाही है।
बाईपास के अभी दो महीने ही हुए हैं यानी मार्च तक वे पूरी तरह फीट हो जाएंगे तब किडनी बदला जाएगा। उनके पूरी तरह स्वस्थ होकर काम पर दोबार लौटने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि कल्लूरी को क्या जिम्मेदारी दी जाती है।