नई दिल्ली। शरद यादव के नेतृत्व वाले जनता दल युनाइटेड ने सोमवार को गुजरात के विधायक छोटुभाई वसावा को पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया।
पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण कुमार श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने छोटुभाई वसावा को कार्यकारी अध्यक्ष चुना है।
उन्होंने कहा कि पार्टी उपाध्यक्ष राजशेखरन की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किए गए सभी फैसलों को अमान्य घोषित किया।
श्रीवास्तव ने कहा कि आठ अक्टूबर को नई दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक होगी जिसमें आगे की कार्रवाई का फैसला होगा और ‘यह साफ कर दिया जाएगा कि असली जद-यू कौन है।”
वसावा गुजरात में जद-यू के इकलौते विधायक हैं, जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अहमद पटेल को वोट देकर जीत दिलाई थी।
दिलचस्प बात यह है कि संवाददाता सम्मेलन में बैनर पर जदयू के तीर वाले चिह्न को दिखाया गया, हालांकि पार्टी चिह्न का मामला अभी निर्वाचन आयोग के समक्ष विचाराधीन है जहां पार्टी के दोनों खेमों ने इस पर अपना दावा जताया है।
श्रीवास्तव ने बताया कि हमने निर्वाचन आयोग में शुक्रवार को (15 सितम्बर) दूसरी याचिका दायर की। निर्वाचन आयोग से अभी तक इस बारे में हमें कोई संदेश नहीं मिला है। हमारी पहली याचिका को निर्वाचन आयोग द्वारा किनारे कर दिया गया था, क्योंकि उसपर विधिवत हस्ताक्षर नहीं किए गए थे।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग ने उनकी याचिका को खारिज नहीं किया है।श्रीवास्तव ने कहा कि हमने सभी मदत्वपूर्ण दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के लिए निर्वाचन आयोग से कुछ समय मांगा है। हम उस समय के दौरान निश्चित रूप से ऐसा करेंगे।
बिहार के सभी जदयू विधायकों और पार्टी सांसदों का बहुमत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ होने पर श्रीवास्तव ने कहा कि विधायक और सांसद पार्टी संगठन नहीं बनाते हैं। वे पार्टी के सिर्फ अंश हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी वसावा के नेतृत्व में गुजरात विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
वसावा ने कहा कि जदयू गुजरात में अन्य दलों जैसे कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और अपने समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन बनाएगी।
पार्टी के सांसद अली अनवर अंसारी ने कहा कि उन्होंने सोमवार को राज्यसभा के महासचिव से भी मुलाकात की और उन्हें और शरद यादव को सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहराए जाने के निर्णय से पहले समय मांगा। उन्होंने कहा कि महासचिव ने कहा कि समय दिया जाएगा, हालांकि उन्होंने यह नहीं कहा कि कितना समय।
अंसारी ने कहा कि मुझे समझ नहीं आता कि जल्दी क्या है। एक परंपरा के रूप में, अयोग्यता का मामला राज्यसभा की आचार समिति द्वारा सुना जाना चाहिए और इसके फैसले को सदन में भी पेश किया जाना चाहिए। अब तक, आचार समिति का गठन नहीं हुआ है।
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