नई दिल्ली। लश्कर-ए-तोयबा की एजेंट इशरत जहां के मुड़भेड़ मामले में पूर्व गृह सचिव जी. के. पिल्लई ने एक और बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि यूपीए सरकार के तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने 2009 में केंद्र सरकार का हलफनामा बदलवा दिया था। इसके पीछे उनका मकसद इशरत के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोयबा से जुड़े होने की सच्चाई को दबाना था।
एक अंग्रेजी समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार में पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने खुलासा किया है कि तत्कालीन गृह मंत्री चिदंबरम ने इशरत मामले की फाइल संयुक्त सचिव के माध्यम से अपने पास मंगाई थी। फाइल देखने के बाद उन्होंने कहा था कि सरकारी हलफनामे में बदलाव की जरूरत है। बाद में हलफनामे में बदलाव किया गया और फिर मामले की फाइल उनके पास आई थी।
पूर्व गृह सचिव पिल्लई के अनुसार इस मामले में पहले जो हलफनामा उच्चतम न्यायालय में दाखिल किया गया था, उसमें इशरत और उसके तीन साथियों जावेद शेख उर्फ़ प्रणेश पिल्लई, जीशना जौहर और अमजद अली राणा को लश्कर के स्लीपर सेल का सदस्य बताया गया था। यह हलफनामा उच्चतम न्यायालय में गृह मंत्रालय ने दाखिल किया था। लेकिन बाद में हलफनामा बदल दिया गया और इशरत को निर्दोष साबित करने की कोशिश की गई।
जानकारी हो कि इशरत जहां और उसके साथियों के मारे जाने के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2009 में दो माह के अंदर दो हलफनामे दाखिल किए थे। एक में कहा गया था कि कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए चार लोग आतंकवादी थे, जबकि दूसरे हलफनामे में कहा गया था कि इस मामले में किसी निष्कर्ष तक पहुंचने लायक कोई सबूत नहीं है। अब इस मामले की सच्चाई सामने आ रही है।