देहरादून। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने उत्तर प्रदेश में जमीन के एक मामले में मुख्यमंत्री हरीश रावत के नाम नोटिस जारी होने के मामले को गंभीर बताते हुए मुख्यमंत्री पर हमला किया है।
उन्होंने कहा है कि हरीश रावत कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि प्रदेश के मुखिया है और उन पर ऐसे मामलों में नोटिस जारी होना बेहद गंभीर है और मुख्यमंत्री को इस मामले में प्रदेश की जनता को स्पष्टीकरण देना चाहिए।
उन्होंने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि यूपी के गाजियाबाद विकास प्राधिकारण द्वारा सीएम हरीश रावत को वाद सं0-186/अ0नि0/प्रवर्तन जोन-6/2015 दिनांक 29.11.2015 के द्वारा उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम 1973 की धारा-26, 27 प्रतिबन्ध के अन्तर्गत नोटिस जारी किया गया है।
जिसमें स्पष्ट लिखा है कि आपके द्वारा ‘‘भवन/भूखण्ड सं0-जी0के0-1/165, ज्ञानखण्ड-1, इन्दिरापुरम, गाजियाबाद में प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत तदोपरान्त शमन स्वीकृति दिनांक 27.10.2014 के विपरीत निर्माण करते हुए अतिरिक्त इकाईयों एवं बेसमेन्ट का निर्माण किया गया है। स्थल पर अतिरिक्त निर्माण की कोई स्वीकृति नहीं दिखायी गयी’’ जो उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम 1973 में प्राविधिक है और उक्त पते पर स्थित है।
भट्ट ने कहा कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा लिखा गया है कि आप दिनांक 15.01.16 को प्रातः 10ः00 बजे समक्ष अधिकारी विकास प्राधिकरण, गाजियाबाद के कार्यालय में उपस्थित होकर कारण बतायें कि क्यों न उपरोक्त निर्माण को गिराने व आपके विरूद्ध मुकदमा चलाने के आदेश पारित कर दिये जांय।
भाजपा नेता ने कहा कि अत्यधिक खेद है कि आज रावत एक साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि देवभूमि के मुखिया हैं, और मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उनके द्वारा इस तरह से नियमों के विरूद्ध कार्य कराये जाने सम्बन्धी कृत्य से प्रदेशवासियों के लिए बहुत ही शर्मनाक स्थिति पैदा हो गयी है। उन्होंने कहा कि नोटिस जारी होना और वह भी नियमों के विपरीत बिल्डरों की तर्ज पर कार्य कराये जाने के सम्बन्ध में प्रदेश के मुख्यमंत्री लिए तो देवभूमि के लिए इससे बड़ी शर्मनाक और दुःखदायी स्थिति और कुछ नहीं हो सकती ।
भट्ट ने कहा कि गाड़-गधेरों और मडूवा तथा झूंगोरा की बात करने वाले मुख्यमंत्री को बिल्डरों की तरह नोटिस जारी होने से लग रहा है कि रावत सिर्फ मुख्यमंत्री नहीं बल्कि बिल्डर का कार्य भी करते हैं। उन्होंने कहा कि संविधान की शपथ लेने वाले व्यक्ति जब इस तरह से नियम और कानूनों को ताक पर रखकर अपने निजी स्वार्थों के लिए कानून से ऊपर जाकर कार्य करते हैं तो यह दुःखदायी और शर्मनाक है।
उन्होंने कहा कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा मुख्यमंत्री को अवैध निर्माण करने जैसे नोटिस जारी होने के प्रकरण के प्रकाश में आने के बाद उन्हें अब सुचिता की राजनीति का ढ़ोंग करना तत्काल बंद कर देना चाहिए और यदि उन्हें बिल्डर का ही कार्य करना है तो तत्काल संवैधानिक पद से हटकर उसी कार्य को करने का मन बना लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कृत्य से प्रदेश की जनता खुद को जहाॅ ठगा सा महसूस कर रही है वहीं दूसरी ओर राज्य की साख को भी गहरा आघात पहुॅचा है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का भी दायित्व निभा रहे अजय भट्ट ने कहा कि प्रदेश की हालत दिनों दिन अत्यधिक खराब होते जा रही है आज भी नारी निकेतन से दून चिकित्सालय में 30 संवासिनियाॅ भर्ती हैं। ऐसे निन्दनीय कार्य होने से वैसे ही प्रदेश की साख देश और दुनियां में गिरी है और अब बची खुची इज्जत मुख्यमंत्री द्वारा अवैधानिक निर्माण की नोटिस के बाद और भी खराब हुई है। उन्होंने मामले में मुख्यमंत्री को त्वरित स्पष्टीकरण देने की मांग की।
उन्होंने कहा कि आज वे स्वयं नारी निकेतन जाकर संवासिनियों का हाल जाना । संवासिनियों को देखकर लग रहा था कि सरकार ने प्रकरण में लापरवाही सामने आने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की है।