जयपुर। केन्द्र सरकार की हाउसिंग फॉर ऑल मिशन को पूरा करने की मुहिम में राज्य सरकार ने कवायद शुरू कर दी।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सबके आवास का सपना साकार करने के लिए मुख्यमंत्री जनआवास योजना शनिवार को लांच की। इस योजना के तहत आवासन मण्डल, यूआईटी व विकास प्राधिकरण के अलावा निजी खातेदारों या विकासकर्ताओं के माध्यम से गरीब वर्ग के लिए सस्ती दरों पर प्रदेश भर में करीब साढ़े 10 लाख आवास बनवाए जाएंगे।
सचिवालय स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में दोपहर 12 बजे मुख्यमंत्री ने जन आवास योजना के साथ ही भू-आवंटन नीति भी लांच की। रिसर्जेंट राजस्थान को ध्यान में रखते हुए इस भू-आवंटन नीति को तैयार किया गया है।
इस लांचिंग कार्यक्रम में मुख्यमंत्री संग नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह शेखावत सहित अन्य कई कबिना मंत्री, मुख्य सचिव, अलग-अलग विभागों के प्रमुख शासन सचिव, निदेशकों के अलावा विकासकर्ता भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री जन आवास योजना के नाम पर बुकिंग करने वाले बिल्डरों की खैर नहीं
मुख्यमंत्री जन आवास योजना को तत्कालीन गहलोत सरकार की अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम में संशोधन कर तैयार किया गया है। इस योजना में निजी विकासकर्ताओं को अपनी योजनाओं में साढ़े 7 प्रतिशत आवास ईडब्ल्यूएस व एलआईजी वर्ग के लिए बनाने होंगे।
ये आवास आरक्षित दर का 25 व 60 प्रतिशत दर पर आवंटन होंगे। फ्लैटों का आवंटन 1250 रुपए प्रतिवर्ग फीट की दर निर्धारित किया है। इसके अलावा आवास खरीदने के लिए जो बैंकों से ऋण मिलेगा उस पर लगने वाले ब्याज का कुछ भार सरकार अपने स्तर पर वहन करेगी।
भू-आवंटन नीति को नवम्बर में होने वाले रिसर्जेंट राजस्थान को देखते हुए तैयार की है। इसमें भूमि का आवंटन आरक्षित दरों के अलावा रियायती दरों पर करने का भी प्रावधान रखा है।
इसके अलावा पहली बार ट्रस्टों को जमीन आवंटन का प्रावधान भू-आवंटन नीति में रखा है। सरकार को उम्मीद है कि इस आवंटन नीति का असर निवेशकों पर सकारात्मक होगा और प्रदेश में निवेश आएगा।