आजमगढ़। उत्तरप्रदेश में सत्ता की वापसी का सपना देख रही भाजपा के लिए विपक्ष से अधिक अपनो से खतरा उत्पन्न हो गया है।
योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार न बनाने की स्थित में हिन्दू संगठन भाजपा के खिलाफ खडे़ हो रहे। यही नहीं उन्हें भाजपा का विकल्प तलाशने में भी कोई गुरेज नहीं हुआ। वही सूत्रों की माने तो संगठन भाजपा को जबाब देने के लिए विपक्ष का भी साथ दे सकता है।
अगर ऐसा हुआ तो भाजपा की सत्ता में वापसी का सपना, सपना ही रह जायेगा। वैसे योगी की दावेदारी को मजबूत करने के लिए हर जिले में अलग-अलग तरीके से अभियान भी चलाया जा रहा है।
यही नहीं योगी के साथ ही भाजपा के फायर ब्रान्ड नेता वरूण गांधी को भी सीएम का प्रत्याशी बनाये जाने की मांग पश्चिम के जिलों से उठ रही है। इनकी भी छवि कटटर हिन्दूवादी और फायर ब्रान्ड नेताओं में की जाती है।
योगी के लिए आजमगढ़ पिछले पांच जून से सभी दस विधानसभाओं में अभियान शुरू हो गया है। पोस्टर में उत्तर प्रदेश की यही पुकार अबकी बार योगी सरकार, देश में मोदी प्रदेश में योगी जैसे स्लोगन लिखे पोस्टर और होर्डिंग के साथ लोग मैदान में कूद पड़े है। यही नहीं सोशल नेटवर्किग साइटो पर ही योगी और वरूण गांधी के फोटो लगातार पोस्ट किए जा रहे है।
योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री का प्रत्याशी घोषित कराने का अभियान गोरखपुर से हिन्दू युवा वाहिंनी व विश्व हिन्दू महासंघ ने शुरू किया है। धीरे-धीरे यह अयोध्या, अम्बेडकरनगर और आजमगढ़ के साथ मऊ में भी प्रवेश कर गया है।
इन पोस्टरों के जरियें हिन्दूवादी संगठन योगी की दावेदारी को मजबूत करने का प्रयास कर रहे है। वही विधानसभ सीट के हिसाब से आजमगढ़ पूर्वान्चल का सबसे बड़ा जिला है। यहां दस विधानसभा सीटें हैं।
योगी की दावेदारी को मजबूत करने के लिए जिले के अतरौलिया विधानसभा में एक सप्ताह पहले से ही विधानसभा से लेकर बूथ लेबल तक के कार्यकर्ताओं की बैठको का दौर जारी है। इन बैठकों के जरिये हिन्दूवादी संगठन योगी की दावेदारी के लिए समर्थन भी जुटा रहे है।
योगी को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी बनाने के लिए अभी भाजपा असहज स्थित में पार्टी के रणनीतिकारों का मनाना है कि पूर्वान्चल के आधा दर्जन जिलों में योगी की भले ही मजबूत पकड़ हो लेकिन अगर योगी को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया गया तो मतों का ध्रुवीकरण भी तेजी के साथ होगा।
क्योंकि योगी की छवि कटटर हिन्दूवादी नेता के रूप में है। योगी के मैदान में आने से अल्पसंख्यक वोट भाजपा को हराने के लिए सपा या बसपा के उम्मीदवारों के साथ जा सकते हैं। इसी कारण पार्टी एक ऐसे विकल्प की तलाश कर रही है जिससे ध्रुवीकरण का खतरा न हो।
बहरहाल हो चाहे जो भी लेकिन वर्तमान की स्थित भाजपा के लिए हिन्दूवादी संगठनो और फायर ब्रान्ड नेताओं में अगर समन्वय नहीं बन सका तो भाजपा के यूपी मिशन 2017 में कोई और नहीं बल्कि अपने की उसके लिए राहों में कांटा बिछाये हुए मिलेंगे, जिससे यूपी फतह का सपना देख रही भाजपा के अरमान बिखर जाएंगे।