नई दिल्ली। बतौर मुख्यमंत्री जयललिता से पहले तमिलनाडु के दो और राजनेताओं का निधन भी कुर्सी पर रहते ही हो गया था।
1967 में सीएम बने सीएन अन्नादुरई का 1969 में निधन हुआ था। इसी तरह एमजीआर यानी मरुदुर गोपालन रामचंद्रन का निधन 24 दिसम्बर 1987 को हुआ था।
अन्नादुरई को लोग प्यार से अन्ना यानि बड़ा भाई बुलाते थे। वह 1967 से 1969 तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे। वह द्रविड़ पार्टी के पहले नेता थे जोकि प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अन्ना का निधन 3 फरवरी 1969 को हुआ था। जिस वक्त उनका निधन हुआ था वह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे।
बाद में एमजीआर दूसरे नेता थे, जिनका सीएम के रूप में ही 1987 में निधन हुआ था। उस दिन दिसंबर की 24 तारीख थी। एमजीआर तीन बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। एमजीआर राजनीति में आने से पहले फिल्मों में अभिनेता थे।
ख़ास बात यह कि जयललिता को पहले फिल्म और बाद में राजनीति में लाने वाले एमजीआर ही थे। वैसे, जयललिता इस साल मुफ्ती मोहम्मद सईद के बाद दूसरी ऐसी राजनेता हैं जिनका सत्ता में रहते हुए निधन हुआ है।
वैसे तो पिछले दो दशक में ऐसी कई घटनाएं हुई, जिनमें राज्य के मुख्यमंत्री रहते राजनेताओं की मौत हुई। इस साल के प्रारंभ में ही सात जनवरी को जम्मू-कश्मीर के सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद नहीं रहे। सईद पिछले साल मार्च में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन के सत्ता में आने के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।
पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद देश के पहले मुस्लिम गृह मंत्री रहे। जम्मू-कश्मीर की सियासत में अब्दुल्ला परिवार को चुनौती देकर उन्होंने अपनी जगह बनाई थी। मुफ्ती मोहम्मद के बाद सूबे की बागडोर मुख्यमंत्री के रूप में उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने संभाली।
नब्बे के दशक में पंजाब में एक बड़ी घटना हुई थी। तब 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में एक आत्मघाती बम धमाके में राज्य के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी। उस हमले में तब 17 लोग मारे गए थे।
कांग्रेस नेता बेअंत सिंह 1992 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे। सचिवालय परिसर में ही मारे गए लोगों में सीएम के तीन कमांडो भी शामिल थे। आत्मघाती हमलावर दिलावर सिंह जयसिंहवाला था। उसके साथ एक बैकअप प्लान के रूप में बलवंत सिंह राजोआना काम कर रहा था। उसे बाद में हत्या का दोषी ठहराया गया था।
आंध्र प्रदेश के कद्दावर नेता और मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में दो सितंबर 2009 को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए थे। हेलीकॉप्टर खराब मौसम के बीच नल्लामाला के जंगलों में लापता हो गया था। रुद्राकोंडा पहाड़ी की चोटी पर हेलीकॉप्टर के अवशेष मिले।
वाईएसआर के नाम से मशहूर मुख्यमंत्री समेत हेलीकॉप्टर में सवार सभी पांच लोगों की उस हादसे में मौत हो गई। अरुणाचल प्रदेश के छठे मुख्य मन्त्री और कांग्रेस नेता दोरजी खांडू का हेलीकॉप्टर भी 30 अप्रेल, 2011 को लापता हो गया था।
हेलीकॉप्टर ईटानगर के लिए उड़ा था लेकिन रास्ते में ही लापता हो गया। बाद में सघन खोजबीन के बाद पाया गया कि तवांग जिले के पास हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उसमें सवार सभी लोगों की मौत हो गई।
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