नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि दुष्कर्म के बाद पैदा हुआ बच्चा भी दुष्कर्म पीड़िता के साथ मुआवजे का हकदार है।
जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस आरके गौबा की बेंच ने दिल्ली के वसंत विहार के एक व्यक्ति को पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा अपने सौतेली बेटी के साथ दुष्कर्म के आरोप में उम्रकैद की दी गई सजा को बरकरार रखने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि पोक्सो एक्ट में दुष्कर्म के कारण पैदा हुए बच्चे को लेकर पीड़ित मुआवजा योजना में मुआवजे का प्रावधान नहीं है। हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि कानूनी प्रावधान में बदलाव के समय रेप के चाइल्ड विक्टिम के मुआवजे का प्रावधान भी शामिल किया जाए।
आरोपी ने वर्ष 2013 के नवंबर माह में अपनी करीब 14 साल की सौतेली बेटी के साथ दुष्कर्म किया और इस कारण पीड़िता गर्भवती हो गई। पीड़िता की मां उसे अस्पताल ले गई लेकिन वहां पता चला कि वह गर्भवती है और गर्भ 20 हफ्ते से ज्यादा का हो चुका था।
ऐसी स्थिति में गर्भपात भी संभव नहीं था। आखिर में 2014 की फरवरी में बच्ची ने एक बेटे को जन्म दिया। पटियाला कोर्ट ने इस मामले में 2015 में आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ आरोपी ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी।
इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि 14 साल की लड़की के साथ रेप हुआ और इस कारण वह अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा-357 ए के तहत पीड़ित मुआवजा योजना के तहत मुआवजे की हकदार है।
कोर्ट ने इस बात को रेखांकित किया कि पीड़िता और उसकी मां ने दोषी पर जो विश्वास किया उसने उसका गला घोंटा। आरोपी की करतूत से पीड़िता के शरीर और दिलो दिमाग पर अनकही यातनाएं झेलनी पड़ी हैं। इस मामले में बेंच ने 24 अगस्त को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।