जोधपुर। करीब सत्रह साल पहले महज 14 माह की अबोध उम्र में बाल विवाह की बेडियों में जकड़ी सुमनलता को आखिर मुक्ति मिल गई।
सारथी ट्रस्ट की मदद से सुमनलता ने जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय में बाल विवाह निरस्त की गुहार लगाई थी। पारिवारिक न्यायालय संख्या-1 ने सुमनलता के बाल विवाह को निरस्त करने का फैसला दिया है।
बाडमेर जिले के चौहटन निवासी खेतीहर किसान रामचन्द्र विश्नोई की 18 वर्षीया पुत्री सुमनलता का बाल विवाह 1999 में महज 14 माह की उम्र में बाडमेर जिले के सेडवा तहसील निवासी प्रकाश विश्नोई के साथ हुआ था।
सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक कृति भारती को इस बाबत जानकारी मिली तो उन्होने सुमनलता से मुलाकात की। भारती के समझाने पर सुमनलता ने करीब छह माह पूर्व बाल विवाह को ठुकरा कर ससुराल जाने से इंकार कर दिया था।
इसके बाद ट्रस्ट की मदद से सुमनलता ने पारिवारिक न्यायालय संख्या-1 जोधपुर में वाद दायर किया था। न्यायिक सुनवाई में सुमनलता की ओर से खुद भारती ने पैरवी कर न्यायालय को सुमनलता के बाल विवाह निरस्त के तथ्यों और आयु संबंधी प्रमाणिक दस्तावेजों से अवगत करवाया।
जोधपुर पारिवारिक न्यायालय संख्या-1 के न्यायाधीश अजय कुमार ओझा ने बाल विवाह के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुमनलता के 17 साल पूर्व महज 14 माह की उम्र में हुए बाल विवाह को निरस्त करने का फैसला सुनाया।
उल्लेखनीय है कि बाल विवाह निरस्त की अनूठी मुहिम में जुटे सारथी ट्रस्ट और उसकी संचालिका कृति भारती ने ही 2012 में देश का पहला बाल विवाह निरस्त करवाया था।
इसके अलावा 2015 में तीन दिन में दो बाल विवाह निरस्त करवाकर इतिहास रचा था। इसके लिए कृति भारती का नाम वर्ल्ड रिकॉड्र्स इंडिया और लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। सीबीएसई ने भी कक्षा 11 के पाठ्यक्रम में ट्रस्ट की इस मुहिम को शामिल किया है।