जलपाईगुडी। कोलकाता के एक नर्सिंग होम प्रबंधन पर जन्म लेनेवाले बच्चे को मृत बताकर उसे अन्य किसी परिवार को पैसे लेकर दे दिए जाने का गंभीर मामला सामने आने के बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं।
राज्य के प्रायः सभी जिलों में नर्सिंग होम में हो रहे प्रसव तथा स्वयंसेवी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे होम में इस तरह की घटनाएं हुई है या नहीं इसका पता लगाने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने अभियान शुरू किया है।
10 दिनों के भीतर जिलाधिकारी व कोलकाता स्वास्थ्य भवन को इसकी रिपोर्ट देने को कहा गया है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में गैर कानूनी तरीके से स्वयंसेवी संगठनों द्वारा संचालित किए जा रहे होम व नर्सिंग होम में प्रसव के बहाने नवजात शिशुओं को बेचने का कार्य किया जा रहा है।
यह सब खेल गोद लेने के नाम पर भी किया जा रहा है। जलपाईगुडी जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर जगन्नाथ सरकार का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए अभियान की शुरूवात की गई है।
मयनागुडी के एक आश्रम टाइम शिशु होम का दौरा टीम के सदस्यों ने किया। टीम के सदस्य यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि होम में शिशु किन कारणों से रह रहा है। यहां बच्चों को लेकर कौन आ रहा है। यहां से नवजात को गोद लेनेवाले कौंन हैं।
यदि कुछ गलत हो रहा है तो उस गिरोह के पीछे कौन है। कितने पैसे में बच्चों की खरीद-बिक्री हो रही है। होम में बच्चों के रखने के लिए परिवेश अच्छा है या नहीं। किन-किन होम के पास बच्चों के पालन-पोषण का सरकारी स्वीकृति हैं।
बच्चे को गोद देने में सरकारी नियमों का सही पालन हो रहा है या नहीं। इन सभी विषयों का पता लगाया जा रहा है। इसके अलावा नर्सिंग होम का भी टीम दौरा कर रही है, जिसमें यह जानने की कोशिश की जा रही है कि पिछले एक वर्ष में उनके यहां प्रसव के दौरान कितने नवजात बच्चों की मौत हुई।
जिन नवजात बच्चों की मौत हुई, उनके परिवार के लोगों को नवजात का शव दिया गया है या नहीं। टीम यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि एक वर्ष में कितने लोगों से यह कहा गया कि प्रसव के बाद उनके बच्चे की मौत हो गई।
ऐसे परिवारों के नंबर रजिस्टर से लेकर उन्हें फोन किए जाने की बात कही जा रही है। यह भी जानकारी ली जा रही है कि नर्सिंग होम व बच्चों का पालन -पोषण कर रहे होम प्रबंधन के बीच किसी तरह का सांठगांठ है या नहीं।
जिला अधिकारी के निर्देश के बाद जिला चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट सरकारी अनुदान प्राप्त होम का जायजा अलग से ले रही है। जिला समाज कल्याण अधिकारी श्रद्धा सुब्बा ने कहा कि अब तक बच्चा चोरी की घटना सामने नहीं आई है। बच्चों को गोद लेने के मामले में कानूनी अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम शुरू किया जा रहा है।
इसमें नर्सिंग होम, स्वास्थ्य विभाग, एनजीओ व पुलिस कर्मियों को शामिल किया जाएगा। जलपाईगुड़ी जिलाधिकारी मुक्ता आर्या ने कहा कि बच्चे को गोद लेने के लिए सटिक कानून है।
ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी दी गई है, लेकिन यदि कोई गैर कानूनी तरीके से बच्चे को गोद लेता है या फिर उसकी तस्करी करता है तो उसे तुरंत गिरफतार कर लिया जायेगा। जलपाईगुड़ी जिले में सिलीगुडी के अतिरिक्त वार्डों को छोडकर आठ सरकारी मान्यता प्राप्त नर्सिंग होम हैं।
बच्चे को सरकारी तौर पर गोद देने का अधिकार एक मात्र जलपाईगुड़ी के उत्तरबंग विकास संस्था नामक एक होम के पास है। होम की चेयरपर्सन चंदना चक्रवर्ती ने कहा कि सरकारी सभी नियमों को मानते हुए यहां से बच्चे को गोद दिया जाता है।