नई दिल्ली। यूबीएस और प्राइसवॉटरहाउसकूपर्स की नई रिपोर्ट में चौंकानें वाले आंकड़ें सामने आए हैं। यूबीएस और प्राइसवॉटरहाउसकूपर्स दुनिया भर के अरबपतियों को लेकर जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार हर तीसरे दिन एशिया में एक व्यक्ति अरबपति बन जाता है।
इस मामले में एशिया बाकी दुनिया से बहुत आगे है। रिपोर्ट कहती है कि पिछले साल एशिया के 71 फीसदी नए करोड़पति अकेले चीन में पैदा हुए जो साल 2009 के 35 फीसदी से दोगुने से भी ज्यादा है। पिछले दो दशकों में 1,300 से ज्यादा अरबपितयों से जुड़े आंकड़ों का आकलन करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल अरबपति बनने वाले एशिया के 113 आंट्रप्रन्योर्स में 80 अकेले चीन से थे। यह आंकड़ा पिछले साल पूरी दुनिया में नए बने अरबपतियों की संख्या के आधे से ज्यादा है। पिछले सितंबर में चीनी सरकार ने इनोवेशन रिफॉर्म को प्राथमिकता सूची में डाल दिया। तब टेक कंपनियों के साथ मीटिंग में चीनी पीएम ने कहा था, ‘आंट्रप्रन्योरशिप और इनोवेशन को बढ़ावा मिलने से देश के हर कोने से आए कॉलेज ग्रैजुएट्स को निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का अवसर प्राप्त होगा।’ रिपोर्ट कहती है कि इसने चीन के युवा आंट्रप्रन्योर्स को तेजी से अमीर होने के अनुकूल माहौल तैयार किया।
रिपोर्ट कहती है, ‘इन अरबपतियों में करीब-करीब आधे टेक्नॉलजी (19%), कन्ज्यूमर ऐंड रिटेल (15%) और रियल एस्टेट (15%) सेक्टर्स से हैं। ई-कॉमर्स बिजनस लगातार बढ़ रहा है। इसी दौरान चीन के कई अमीर लोग अपना मौजूदा व्यवसाय छोड़कर रियल एस्टेट बिजनस में उतर गए। दरअसल, चीन में शहरीकरण और उपभोग के सामानों पर खर्च में वृद्धि से ऐसा वातावरण तैयार हुआ है जिसमें बिजनसेज तेजी से बढ़ते हैं।’
रिपोर्ट के अनुसार, चीन बाद अरबतियों के मामले में हॉन्ग कॉन्ग और भारत एशिया के सबसे बड़े देश निकले जहां पिछले साल अरबतियों की सूची में 11-11 लोगों का इजाफा हुआ। वहीं, यूरोप में 56 नए लोग अरबति बने। इस लिहाज से अमेरिका की बात की जाए तो वहां अरबपतियों की संख्या में बड़ा बदलाव नहीं आया। अमेरिका में एक ओर 41 नए लोग अरबपति बने तो 36 पुराने अरबतियों की संपत्ति घट गई।
पीडब्ल्यूसी में ग्लोबल प्राइवेट बैंकिंग ऐंड वेल्थ मैनेजमेंट के सीनियर एमडी स्टीवन क्रॉसबी ने कहा, ‘ध्याने देने की बात यह है कि बाकी दुनिया और अमेरिकी अरबतियों में एक खास अंतर है कि अमेरिकियों में अपनी संपत्ति दान करने की प्रवृति है।’ रिपोर्ट कहती है कि साझा दृष्टिकोण और साफ-सुथरे शासन की वजह से यूरोप में परिवारों की वंशानुगत संस्कृति ज्यादा मजबूत है।