बीजिंग। भारत और अमरीका के संयुक्त प्रयास को फिर से झटका देते हुए चीन ने इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद(जेईएम) के मुखिया मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने संबंधित अमरीकी प्रस्ताव को रोकने का निर्णय लिया है।
चीन के इस पहल से दोनों देशों के भारतीय सैन्य शिविर पर हमले के मुख्य साजिशकर्ता पर प्रतिबंद्ध लगाने के अरमानों पर पानी फिर गया है।
बीजिंग द्वारा पिछले वर्ष इस संबंध में भारत के आवेदन को बाधित करने और तकनीकी रूप से रोकने के बाद अमरीका ने इस वर्ष जनवरी में फ्रांस और ब्रिटेन के समर्थन से अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने के संबंध में नया प्रस्ताव पेश किया था।
बीजिंग ने दोबारा इस मामले को अगस्त तक तकनीकी रूप से रोक दिया था और इसे आगे तीन महीनों तक के लिए बढ़ा दिया था। यह तकनीकी रोक इस सप्ताह गुरुवार को समाप्त हो रही है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1267 समिति को अभी भी मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने पर आम सहमति बनानी है।
हुआ के अनुसार प्रासंगिक देश के आवेदन को सूचीबद्ध करने को लेकर कई असहमतियां हैं। चीन ने इसे तकनीकी रूप से रोका है, ताकि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए और ज्यादा समय मिल सके। समिति को अभी भी आम सहमति तक पहुंचने में वक्त लगेगा।
अमरीकी प्रस्ताव के चीन की ओर से ‘ना’ कहने का मतलब है कि इस संबंध में अब नया प्रस्ताव लाना पड़ेगा। चीन को छोड़कर, 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के सदस्य अजहर पर प्रतिबंद्ध लगाने के पक्ष में हैं।
चीन सुरक्षा परिषद के पांच वीटो धारक देशों की शक्तिशाली जमात में शामिल है और प्रस्ताव पर इसका वोट निर्णायक होता है।
हुआ ने कहा कि हमने कई बार इसपर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों में स्पष्ट शर्ते हैं, जिसमें 1267 समिति को आम सहमति बनानी होती है और किसी आतंकवादी संगठन या व्यक्ति को सूचीबद्ध करने के लिए भी स्पष्ट शर्ते हैं।
हुआ ने कहा कि हम मानते हैं कि समिति (संयुक्त राष्ट्र) को निष्पक्षता और व्यवसायिकता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए और ठोस सबूत के आधार पर आम सहमति बनानी चाहिए।
अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने का मामला भारत और चीन के बीच दुखती रग बन गया है। ब्रिक्स सम्मेलन में चीन संयुक्त बयान में अजहर के संगठन को शामिल करने के लिए सहमत हुआ था।
यह पूछे जाने पर कि अजहर के विरुद्ध प्रस्ताव रोक कर चीन पाकिस्तान को बचाना चाहता है? हुआ ने कहा कि मैं यह समझ सकती हूं कि आपने यह प्रश्न क्यों किया है। लेकिन आप जो कह रहें हैं मैं उसकी तरफ नहीं हूं।
उन्होंने कहा कि चीन हमेशा से सच्चाई और निष्पक्षता के सिद्धांत पर भरोसा करता है और हमने अपनी समझ के साथ इस मुद्दे पर न्याय किया है। पाकिस्तान भी आतंकवाद से पीड़ित देश है और हम आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की लड़ाई का समर्थन करते हैं।
बीजिंग इस्लामाबाद का सदाबहार दोस्त है और दृढ़ता से पाकिस्तान का पक्ष लेता है। जबकि भारत पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों को उसके देश में पनाह देने का आरोप लगाता है।
चीन ने बेल्ट एवं रोड परियोजना के अंतर्गत अरबों रुपए की धनराशि पाकिस्तान में निवेश की है, जिसके अंतर्गत सड़क, राजमार्ग, और बंदरगाह बनाकर एशिया को यूरोप से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना है।