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चीन : आगामी 'दो सत्रों' में विकास, स्थिरता पर फोकस - Sabguru News
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चीन : आगामी ‘दो सत्रों’ में विकास, स्थिरता पर फोकस

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चीन : आगामी ‘दो सत्रों’ में विकास, स्थिरता पर फोकस
China : 'two sessions' focus on development and sustainability
China : 'two sessions' focus on development and sustainability
China : ‘two sessions’ focus on development and sustainability

इस महीने चीन की राजधानी पेइचिंग में एनपीसी (चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा) और सीपीपीसीसी (चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन) का वार्षिक सत्र होने जा रहा है।

चीनी नववर्ष के बाद इन दो सत्रों को महत्वपूर्ण इवेंट के रूप में देखा जा रहा है, वो इसलिए भी क्योंकि इन दो सत्रों से आने वाले छोटे-मोटे बदलाव चीनी लोगों के जीवन पर दूरगामी असर डाल सकते हैं।

कई वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भी चीन का विकास मजबूत बना हुआ है, जिससे इन सत्रों पर दुनिया भर की नजर रहेगी।

चीन, एक विकासशील देश होते हुए भी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी साबित हो रहा है। पिछले कुछ सालों में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में चीन ने एक सक्रिय विदेश नीति का प्रदर्शन किया और नये विदेशी बाजारों को खोजा। इस बात को कतई नकारा नहीं जा सकता कि एक जिम्मेदार विश्व शक्ति के रूप में चीन की भूमिका और जगह दिन-ब- दिन बढ़ रही है।

मौजूदा कठिनाइयों से पार पाने और 6.5 से 7 प्रतिशत की सीमा के भीतर आर्थिक विकास सुनिश्चित करने में चीन ने जो सफलता पाई है, उसने संपूर्ण वैश्विक समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसकी जो मुख्य वजह है वो ये है कि चीन का वैश्विक आर्थिक विकास में एक चौथाई योगदान है और उन देशों की आर्थिक स्थिति पर सीधा प्रभाव पड़ता है जो उसके व्यापार और आर्थिक भागीदार हैं।

चीन वैश्विक आर्थिक विकास में मुख्य सहायक है, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का दूसरा सबसे बड़ा योदानकर्ता है, और विकासशील देशों की सहायता में अहम रोल निभाता है। पिछले दसेक सालों में गरीबी उन्मूलन, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने, और बेल्ट ओर रोड पहल में चीन ने जो प्रयास किए हैं, उससे दुनिया के अधिकांश देश प्रभावित हैं।

चीन लगातार सुधारों और खुलेपन, नवाचार, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दे रहा है। पिछले 30 सालों में करोड़ों गरीब लोगों को गरीबी के दलदल से बाहर निकाला है, ये वाकई एक सराहनीय कदम है।

ये दो सत्र उस समय पर हो रहा है जब चीन सफलतापूर्वक मंदी के दबाव से बाहर आ रहा है और देश पहले से ही ‘सामान्य समृद्ध समाज’ का निर्माण करने के उद्देश्य के साथ 13वीं पंचवर्षीय योजना (2016-20) के क्रियान्वयन के चरण में प्रवेश कर चुका है।

माना जा रहा है कि आगामी वार्षिक दो सत्र दुनिया भर में बढ़ते संरक्षणवाद को जवाब देने के लिए नए समाधान और बेल्ट और रोड पहल के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए विचार देना जारी रखेगा।

मैं समझता हूं कि इस साल चीन सरकार की प्राथमिकता समृद्धि, सद्भाव और शांति के क्षेत्र में वैश्विक शासन में रचनात्मक कार्य आगे बढ़ाने के लिए होनी चाहिए।

अब सवाल यह उठता है कि इन दो सत्रों में किन-किन विषयों पर चर्चा होगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि गरीबी उन्मूलन, 13वीं पंचवर्षीय योजना, आर्थिक प्रगति, क्षेत्रीय एकता आदि पर जोरदार चर्चा की जाएगी। खैर, चीन की भविष्य की योजनाओं और आगे विकास के लिए रणनीति की गहराई से अध्ययन की जरूरतों के लिहाज से सभी विषय महत्वपूर्ण रहेंगे।

अखिल पाराशर
(लेखक चाइना रेडियो इंटरनेशनल, बीजिंग में पत्रकार हैं)