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चीन ने फिर जताया दक्षिण चीन सागर पर अपना हक - Sabguru News
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चीन ने फिर जताया दक्षिण चीन सागर पर अपना हक

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चीन ने फिर जताया दक्षिण चीन सागर पर अपना हक
Chinese Foreign Minister Wang Yi says South China Sea among world's freest shipping lanes
Chinese Foreign Minister Wang Yi says South China Sea among world's freest shipping lanes
Chinese Foreign Minister Wang Yi says South China Sea among world’s freest shipping lanes

बीजिंग। मालवाहक जहाजों की आवाजाही के लिए दक्षिण चीन सागर को चीन ने दुनिया का सबसे मुक्त और सुरक्षित रास्ता बताया है साथ ही उसने यह भी साफ किया है कि इस विवादित क्षेत्र पर उसका हक कैसे है?

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि उनके देश ने सबसे पहले इस क्षेत्र की खोज की। इसे नाम दिया और विकसित किया। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने इस क्षेत्र में जो काम किया है, वह आने वाली पीढ़ी को भी इस क्षेत्र का अधिकार देता है।

संसद की वार्षिक बैठक के बाद मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह बात कही। यी ने कहा कि इतिहास यह साबित करेगा कि कौन इस क्षेत्र का मेजबान है और कौन मेहमान।

इस इलाके पर संयुक्त राष्ट्र पंचाट के फैसले को मानने से इन्कार करते हुए यी ने कहा कि अमरीका के इशारे पर जबर्दस्ती का विवाद पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों को लेकर चीन के खिलाफ फिलीपींस ने पंचाट में अपील कर रखी है।गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर के अधिकांश इलाके पर चीन अपना दावा जताता है।

फिलीपींस, ब्रूनेई, ताइवान, मलेशिया और वियतनाम जैसे छोटे देश भी इसके अलग-अलग हिस्सों पर अपना अधिकार बताते हैं।

हाल में इस इलाके में चीन ने मिसाइलों और लड़ाकू विमानों की भी तैनाती की है। इसके कारण अमरीका के साथ उसका तनाव बढ़ गया है।

असल में, इस रास्ते से सालाना 500 अरब डॉलर (करीब 33,660 अरब रुपये) का व्यापार होता है। यही कारण है कि रणनीतिक, सामरिक और आर्थिक रूप से यह इलाका काफी अहम है।

दक्षिण चीन सागर में अमरीकी वायु सेना की गतिविधि जारी रहेगी। पैसिफिक एयर फोर्स के कमांडर जनरल लॉरी रॉबिन्सन ने मंगलवार को कहा कि विवादित क्षेत्र में अमरीकी विमान रोजाना उड़ान भरना जारी रखेंगे।

उन्होंने अन्य देशों से भी नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता बहाल रखने के लिए इस क्षेत्र में आवाजाही की अपील की है।

भारत की ओर से साझा गश्त का प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद अमरीका का यह बयान सामने आया है। अमरीका और चीन दोनों इस क्षेत्र का सैन्यीकरण करने का आरोप एक-दूसरे पर लगाते रहते हैं।