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CJI TS Thakur raises issue of 500 vacant posts in high courts
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उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 500 पद खाली : मुख्य न्यायाधीश

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उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 500 पद खाली : मुख्य न्यायाधीश
CJI TS Thakur raises issue of 500 vacant posts in high courts
CJI TS Thakur  raises issue of 500 vacant posts in high courts
CJI TS Thakur raises issue of 500 vacant posts in high courts

नई दिल्ली। केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच शनिवार को उच्च न्यायालयों में रिक्त न्यायाधीशों के पदों और न्यायाधिकरण के प्रमुखों को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के समान सुविधाओं के मुद्दे पर अंतरविरोध देखने को मिला।

केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के दो दिवसीय अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के पांच सौ पद खाली पड़े हैं।

उन्होंने कहा कि आज हमारे पास अदालतें हैं लेकिन जज नहीं हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायाधिकरण में पर्याप्त मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। स्थिति ऐसी है कि उच्चतम न्यायालय का कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश आज न्यायाधिकरण का प्रमुख नहीं बनना चाहता है। कई न्यायाधिकरण खाली पड़े हैं।

मुझे अपने सेवानिवृत्त सहयोगियों को वहां भेजने का काफी दुख है। उन्होंने कहा कि सरकार उचित सुविधाएं देने के लिए तैयार नहीं है। बुनियादी सुविधाओं के अलावा खाली पद न्यायाधिकरण के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है।

इस अवसर पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हम न्यायालय और मुख्य न्यायधीश दोनों का बहुत सम्मान करते हैं लेकिन कुछ मामलों में हमारा आदर के साथ मतांतर है। उन्होंने कहा​ कि भारत सरकार ने इस साल अब तक 120 जजों की नियुक्ति की है जो कि अब तक का दूसरा सर्वोच्च नियुक्ति का रिकॉर्ड है।

उन्होंने कहा कि 1980 से आज तक औसत 80 जजों की नियुक्ति हुई। 2013 में 121 नियुक्ति हुई। इसके अलावा उच्चतम न्यायालय के जजों की नियुक्ति भी हुई। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिला अदालतों में 5000 पद रिक्त हैं जिसे भरने में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है। यह नियुक्ति उच्च न्यायालय को करनी है।

अधिकरण के प्रमुख को मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं कराने पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार के द्वारा समय-समय पर अधिकरण में मूलभूत सुविधाएं बढ़ाने की कोशिश होती है। लेकिन एक बात समझने की आवश्यकता है कि उच्चतम न्यायालय के सभी सेवानिवृत्त जजों को अधिकरण में आने के बाद उच्चतम न्यायालय के जजों के समान बड़ा बंगला नहीं दिया जा सकता।

इसमें कई समस्याएं हैं और सीमाएं भी हैं। हालांकि उनके रहने की पूरी व्यवस्था हम करते हैं और आगे भी करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार न्यायालय की गरिमा के प्रति समर्पित है।

सम्मेलन में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जे चेलमेश्वर, कैट के चेयरमैन न्यायाधीश प्रमोद कोहली, न्यायमूर्ति हारून रशिद के अलावा उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय के जज, कैट के पूर्व चेयरमैन, सरकारी अधिकारी और वकील भी मौजूद थे।