न्यूयार्क। जलवायु परिवर्तन समस्या का अगर समय रहते समाधान नहीं किया गया, तो वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण से संबंधित मौतों का आंकड़ा 2030 में लगभग 60,000 और 2100 में 2,60,000 तक पहुंचने की संभावना है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
अध्ययन के मुताबिक, गर्म तापमान से रासायनिक प्रतिक्रियाएं तेजी से होती हैं, जो वायु प्रदूषक जैसे ओजोन और कणिका तत्व का निर्माण करती है, जो लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि शुष्क स्थानों को कम बारिश और हवा में धूल के कारण अधिक वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, जहां पेड़ तापमान में वृद्धि को कम करने में मददगार होते हैं, वह भी अधिक कार्बनिक प्रदूषण का उत्सर्जन करेंगे।
यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के सहायक प्राध्यापक व इस अध्ययन के मुख्य शोधार्थी जैसन वेस्ट ने कहा कि चूंकि जलवायु परिवर्तन वायु प्रदूषक सांद्रता को प्रभावित करता है, जिससे दुनिया भर के लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इससे हर साल वायु प्रदूषण से मरने वाले लाखों लोगों की संख्या में इजाफा होने की आशंका है।
इस आकलन के लिए शोध दल ने 2030 और 2100 में ओजोन और कणिका तत्वों से होने वाली मौतों की आशंका को निर्धारित करने के लिए कई वैश्विक जलवायु मॉडलों का इस्तेमाल किया था। यह शोध ‘नेचर क्लाइमेट चेंज’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।