सबगुरु न्यूज-जयपुर/सिरोही/माउण्ट आबू। सांसद देवजी पटेल के भाई नरेश पटेल और माउण्ट आबू नगर पालिका की उपाध्यक्ष अर्चना दवे के मकानों में माॅनीटरिंग कमेटी की स्वीकृति के विपरीत किए गए निर्माणों को तोडने के बाद भाजपा प्रशासन पर प्रेशर बिल्डिंग टेक्टिक अपना रही है। प्रशासनिक अधिकारियों के कथित असंवैधानिक रवैये को लेकर जिले के भाजपा के जनप्रतिनिधियों मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मिलने जयपुर पहुंचे हैं। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने इन्हें तीन बजे मिलने का समय दिया है।
वैसे माउण्ट आबू में कांग्रेस के शासन काल में गठित खन्ना कमेटी की ओर से अनियमित ठहराए जाने पर कांग्रेस के एक पार्षद और कांग्रेस के कार्यकर्ता के होटल पर भी प्रशासन की गाज गिरी थी। उस समय भी प्रशासन पर इसी तरह का विवाद कांग्रेस जनप्रतिनिधियों ने किया था। माउण्ट आबू में गुरुवार की कार्रवाई के बाद माउण्ट आबू व जिले में भाजपा के जनप्रतिनिधि प्रशासनिक अधिकारियों के रवैये के खिलाफ मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मिल सकते हैं। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने तीन बजे इसके लिए समय दिया है।
वैसे इस मुलाकात में जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से जनप्रतिनिधियों की अनदेखी करने की बात कही जा सकती है, लेकिन वास्तविक दर्द जिले में पदस्थापित अधिकारियों की ओर से कायदों की पालना ही सबसे ज्यादा इन्हें खटकती नजर आ रही है।
पूर्व में जिन अधिकारियों के चैम्बर भाजपा नेताओं और जनप्रतिनिधियों को अभयारण्य और सिरोही के आम नागरिकों के लिए वर्जित क्षेत्र बन गए थे, वहीं कार्यालय अब सिरोहीवासियों के लिए अभयारण्य और बिना काम के गपशप का स्थान बनाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए वर्जित क्षेत्र बन गया है।
भाजपा शासन में लम्बे अर्से बाद यह स्थिति आई है कि सिरोही के साधारण इंसान को अपने वाजिब काम के लिए किसी जनप्रतिनिधि की सिफारिश लगाने की जरूरत नहीं पड रही है और नेताओं के गैरवाजिब कामों को सिरे से नकार दिया जा रहा है।
इधर, माॅनीटरिंग कमेटी के सदस्य व भाजपा जिला उपाध्यक्ष सौरभ गांगडिया के नेतृत्व भाजपाइयों ने माउण्ट आबू उपखण्ड अधिकारी कार्यालय के समक्ष शुक्रवार को सांकेतिक धरना शुरू किया है। धरना के पांडाल पर लगे टेंट पर जो बैनर लगा है उस पर माउण्ट आबू के साधारण लोगों के अधिकारों की बात लिखी हुई है।
इसमें आबू की जनता के मौलिक अधिकारों की बात करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के असंवैधानिक और असंवेदनशील व्यवहार के खिलाफ सांकेतिक धरना बताया है। इस बैनर में धरने के उद्देश्य भी लिखे हुए हैं जिसके अनुसार आबू की जनता को संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार रोटी, कपडा और मकान की मांग, स्वच्छ भारत अभियान के तहत हर घर में शौचालय के निर्माण, आबू में भवन निर्माण की समस्या का पूर्ण समाधान, सभी के लिए बिजली पानी की सुविधा, स्ट्रीट वेंडरों की समस्या का पूर्ण समाधान की मांग की गई है।
-समानता का अधिकारी भी तो है
भाजपा के धरने में मौलिक अधिकारों की बात की गई है। लेकिन मौलिक अधिकारों में समानता का अधिकार भी शामिल है। माउण्ट आबू की माॅनीटरिंग कमेटी की कार्यप्रणाली को पूर्व में भी और वर्तमान में भी एनजीटी में चुनौती दी गई है। माॅनीटरिंग कमेटी ने कांग्रेस शासन में कांग्रेस के नेताओं और जनप्रतिनिधियों तथा भाजपा शासन में भाजपा के नेताओं और जनप्रतिनिधियों में पूर्ण अनुकम्पा बरती है।
माउण्ट आबू के स्थानीय लोगों के अधिकारों पर बाहर से आए होटल व्यवसाइयों को अतिक्रमण का अवसर माॅनीटरिंग कमेटी ने मुक्त हस्त से दिया। वहीं धन और बल के अभाव वाले स्थानीय लोगों की बरसो से लम्बित पत्रावलियों पर किसी न किसी बहाने से सुनवाई तक नहीं की गई है।