जयपुर। हाउसिंग बोर्ड के घटिया निर्माण को लेकर राजधानी जयपुर में भी बोर्ड की कई आवासीय योजनाओं में आवंटियों की शिकायतें है। नागौर में मुख्यमंत्री की ओर से बोर्ड के आवास निर्माण की पोल खोलने के बाद बोर्ड के घटिया निर्माण का मुद्दा गहरा गया है।
राजधानी जयपुर की बात की जाए तो प्रताप नगर और इंदिरा गांधी नगर में सर्वाधिक आवास निर्माण का काम चल रहा है। लेकिन यहां की स्थिति भी यही है कि आवास निर्माण के बाद जब आवंटी उसमें रहने लगता है तो वहां के घटिया निर्माण की पोल कुछ दिन में ही खुलकर सामने आ जाती है। दीवार से प्लास्टर गिरने, सेनेट्री-ड्रेनेज की लाइनें लीक करने से दीवार में सीलन आने, छतों से बारिश का पानी रिसने जैसी शिकायतें आम है।
बोर्ड अधिकारियों में मचा हड़कंप- मुख्यमंत्री के इस कदम के बाद बोर्ड प्रशासन में मानो भूचाल आ गया हो। सबसे अधिक इंजीनीयरिंग विंग के अधिकारियों में हडकंप मचा हुआ है। शुक्रवार को प्रताप नगर, इंदिरा गांधी नगर, मानसरोवर में सभी साइटों पर इंजीनीयर दिखाई दिए और गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया। गुणवत्ता सेल के अधिकारी भी पूरे दिन फील्ड में रहे।
गुणवत्ता की हुई जांच तो खुलेंगे कई मामले- अगर गुणवत्ता की जांच जयपुर के प्रताप नगर और इंदिरा गांधी नगर में की जाए तो कई चौकाने वाले मामले सामने आएंगे। सूत्रों की माने तो निर्माण सामाग्री तो घटिया उपयोग में होती ही है, लेकिन मकानों में लगाए जाने वाले सामान (नल, टॉयलेट पॉट, बिजली वायर, स्विच, पानी-ड्रेनेज के पाइप आदि) भी नि न स्तर उपयोग हो रहे है।
लेकिन निविदा में जो आइटम लिए जाते है वह उच्च स्तर के रखे जाते है।
उच्च मानदंडों के अनुरूप नहीं जांच लैब- हाउसिंग बोर्ड में छोटे स्तर पर जांच लैब स्थापित है, लेकिन नेशनल एक्रिएडेड ब्यूरो ऑफ लेबोरेट्री (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त प्राप्त नहीं है।
यह लेबोरेट्री राष्ट्रीय स्तर पर सामग्री की गुणवत्ता पर ारा उतरने पर सर्टिफिकेट देती है। जेडीए व पीडब्ल्यूडी भी निर्माण सामाग्री के नमूनों की जांच एनएबीएल से सर्टिफिकेट प्राप्त लैब से करवाता है। जबकि हाउसिंग बोर्ड अपने निर्माण सामाग्री के नमूनों की जांच अपनी स्थापित प्रयोगशालाओं में ही करता है।
पीडब्ल्यूडी की मिल सकती है जांच की कमान-नागौर जिले में आवासन मंडल के निर्माण में हो रही अनियमितताओं की जांच के लिए एक स्वतंत्र जांच कमेटी बनाई जाएगी। खास बात यह है कि कमेटी में मंडल के किसी अधिकारी को शामिल नहीं किया जाएगा। सार्वजनिक निर्माण विभाग के अभियंता पूरे मामले की जांच करके रिपोर्ट सरकार को देंगे।
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री के एक्शन लेने के बाद सरकार इस मामले में लीपापोती के मूड में नहीं है और मामले की तह तक जाना चाहती है। मंडल के अभियंता ही निर्माण की जांच करते हैं तो संदेह होना स्वाभाविक है। इसको देखते हुए सरकार ने पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की टीम बनाने का निर्णय लिया है। संभवत: एक-दो दिनों में कमेटी बना दी जाएगी।