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मनमोहन को सम्मन : शर्मसार करने वाला घटनाक्रम - Sabguru News
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मनमोहन को सम्मन : शर्मसार करने वाला घटनाक्रम

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मनमोहन को सम्मन : शर्मसार करने वाला घटनाक्रम
coal scam : summoning of former pm manmohan singh, political witch hunting!
coal scam : summoning of  former pm manmohan singh, political witch hunting!
coal scam : summoning of former pm manmohan singh, political witch hunting!

यूं तो भारतीय राजनीति ने कई बार ऐसे दिन देखे हैं जब भारतीय लोकतंत्र शर्मसार हुआ है, लेकिन ऐसा बहुत कम देखने में आया है जब प्रधानमंत्री की कुर्सी पर सफल दस वर्ष गुजारने वाले किसी शालीन राजनीतिज्ञ को उसके द्वारा किए किसी असंवैधानिक कृत्य के लिए कानून ने सीधे सम्मन जारी किया गया हो।

इस दृष्टि से देखा जाए तो बुधवार का दिन भारतीय राजनीति के लिए किसी काले दिन से कम नहीं कहा जा सकता। हो सकता है कि इस बात से तमाम लोग पूरी तरह सहमत न हों, यह भी कहा जा सकता है कि जिस राजनीतिज्ञ पर अंगुली उठी है वह अब प्रधानमंत्री नहीं है।

परन्तु बुधवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने एक पूर्व प्रधानमंत्री को एक घोटाले के चलते जिस प्रकार सम्मन जारी किया और अदालत में पेश की तिथि तय कर दी यह बेहद सनसनीखेज और भीतर तक झकझोर कर रख देने वाला वाक्या कहा जा सकता है। यहां महत्वपूर्ण यह नहीं कि संबंधित व्यक्ति आज उस पद पर है या नहीं है। यह भी महत्वपूर्ण नहीं है कि वह किस राजनीतिक दल का नेता है।

महत्वपूर्ण यह है कि जिस कोयला घोटाले के एक मामले को लेकर डॉ. मनमोहन सिंह के खिलाफ देश की सर्वोच्च अदालत ने अदालत में पेश होने का सम्मन जारी किया है। वह मनमोहन सिंह उस समय न केवल देश के प्रधानमंत्री थे बल्कि उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार भी उन्हीं के पास था।

बेहद आश्चर्यजनक लगता है कि एक प्रधानमंत्री जो कि स्वयं कोयला मंत्रालय का प्रभारी भी था इस मामले में इतना चुप, असहाय और निस्तेज सा क्यों बना रहा? आखिर उनके ऊपर ऐसा कौनसा दबाव था जिसके चलते सब कुछ जानते-समझते हुए भी वह रबर स्टाम्प जैसे बने रहे। जो लोग पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को करीब से जानते और समझते हैं वह यह भली प्रकार जानते हैं कि डॉ. मनमोहन सिंह की छवि एक ईमानदार, प्रतिभाशाली और चतुर अर्थशा ी की रही है।

लंबे प्रशासनिक और राजनीतिक जीवन में उनके ऊपर कोयला घोटाले को छोड़ भ्रष्टाचार का कोई मामला सामने नहीं आया है। ऐसी स्थिति में फिर यह गलती वह कैसे कर बैठे?

भले ही डॉ. मनमोहन सिंह इसको लेकर मुंह नहीं खोल रहे हैं लेकिन पूरा देश जानता है कि किस प्रकार लगातार दस वर्षों तक वे एक राजनीतिक परिवार के यश मैन अर्थात ”हां में हांÓÓ मिलाने वाले व्यक्ति बने रहे। निर्णय तो कहीं और लिए जाते थे मनमोहन सिंह का काम तो सिर्फ हां में हां मिलाने तक ही सीमित रहा है। जैसा कि स्वयं मनमोहन सिंह ने कहा है कि ”बेशक मैं दुखी हूं लेकिन यह जिंदगी का हिस्सा है मुझे भरोसा है कि सत्य सामने आएगा। वास्तव में उनका यह बयान बहुत कुछ इशारा करता है। सत्य आखिर क्या है? आज पूरा देश यह जानना चाहता है।

पूरा देश और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र सच्चाई सुनना चाहता है। उसे चिंता है तो इस बात की कि एक प्रधानमंत्री आखिर इतने बड़े घोटाले में क्यों लिप्त हुआ? उसे इस बात की भी चिंता है कि इस मामले में दोषी ठहराए जाने पर अधिकतम आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है। यदि ऐसा होता है जिसकी संभावना कम है तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए बेहद अफसोसजनक दिन होगा।

 

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