नई दिल्ली। शिशु लिंग जांच को अनिवार्य बनाने वाले केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के बयान का महिला कांग्रेस और दिल्ली महिला आयोग ने विरोध किया है। इन महिला संगठनों का कहना है कि लिंग जांच अनिवार्य होने से मोदी सरकार की योजना ‘बेटी बचाओ’ के बावजूद बेटियां ही नहीं बचेंगी।
महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शोभा ओझा ने मंगलवार को केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के बयान की निंदा करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार बेटी बचाव अभियान को बदलकर बेटी हटाओ अभियान की तैयारी कर रही है।
उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों से भ्रूण जांच पर लगे प्रतिबंध को हटाना निरर्थक और बड़ा ही विचित्र है। यह कन्या भ्रूण हत्या को प्रोत्साहित करने जैसा है, इससे प्रतीत होता है कि मोदी सरकार बेटियों के प्रति कितनी संवेदनशील है और जमीनी हकीकत से कितनी परिचित है।
उन्होंने कहा कि इसके बजाय केंद्र को प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम (पीएनडीटी एक्ट) को लागू करने पर विचार करना चाहिए। वहीं इस मसले पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पीएनडीटी एक्ट को सही ढंग से लागू करवाने की जरुरत है न कि लिंग जांच की।
यदि गर्भ में पल रहे बच्चे की लिंग जांच होने लगेगी तो इससे कन्या भ्रूण हत्या बढ़ जाएगी। अगर लिंग जांच को कानूनी मान्यता मिल जाती है तो सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की योजना के लिए बेटियां ही नहीं बचेंगी। इसे किसी भी सूरत में लागू नहीं किया जाना चाहिए।
केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि लिंग जांच को अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि कन्या भ्रूण वाली गर्भवती महिला का ध्यान रखा जा सके और इस तरह कन्या भ्रूण हत्या रोकी जा सकेगी। हालांकि उन्होंने कहा कि यह उनके निजी विचार है और इस पर चर्चा की जानी चाहिए।