सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही को लेकर प्रदेश कांग्रेस अजब मजबूरी में है। यहां पर कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों को उन्हीं कांग्रेसियों के साथ मंच साझा करने को मजबूर होना पड रहा है, जिन्हें डाक बंगले प्रकरण के बाद निलंबित किया गया था।
जिला कांग्रेस की बैठक के दौरान 30 अप्रेल को सिरोही डाक बंगले में कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य पुखराज गहलोत से कथित रूप से मारपीट गई थी। इस समय कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं जिला के प्रभारी लक्ष्मणसिंह रावत, महामंत्री लीला मदेरणा, सचिव करणसिंह उचयिरड़ा, प्रदेश कांग्रेस सचिव खेतसिंह मेडतिया भी मौजूद थे।
इस मारपीट के बाद शिवगंज ब्लॉक अध्यक्ष जीवाराम आर्य, सेवादल उप मुख्य संगठक हमीद कुरैशी, पूर्व जिला परिषद सदस्य राकेश देवासी, पीसीसी सदस्य तथा आबूरोड नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन अश्विन गर्ग, आबूरोड पार्षद कांति परिहार तथा आबूरोड यूआईटी के पूर्व चेयरमैन हरीश चैधरी को निलम्बित करके स्पष्टीकरण मांगा गया था। अब कांग्रेस की मजबूरी ये कि यह लोग जिले में कांग्रेस की रीढ माने जाने वाले संयम लोढा के राजनीतिक विश्वस्त हैं।
13 अगस्त को जिला मुख्यलय पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के निर्देश आयोजित गाय बचाओ पैदल मार्च संयम लोढा के नेतृत्व में आयोजित किया गया। इस आयोजन् में इन छह जनों को निलंबित करने में कथित तौर पर सिफारिश करने वाले करणसिंह उचरियाड भी मौजूद थे। मजबूरी यह है कि उचरियाड इस दिन जिस मंच को साझा कर रहे थे उसका संचालन भी उनकी कथित सिफारिश पर निलंबित शिवगंज प्रधान जीवाराम आर्य ही कर रहे थे।
इसके अलावा शेष निलंबित कांग्रेसियो मे से हरीश चौधरी और हामीद कुरैशी भी इस सभा का हिस्सा थे। इसमें कोई दो राय नहीं कि जिले में कांग्रेस संयम लोढा के नेतृत्व में भाजपा और यहां तक कि मुख्यमंत्री पर भी सबसे ज्यादा आक्रामक है। ऐसे में लगता है कि लोढा के समर्थकों के साथ निलम्बन के बाद भी मंच साझा करना उन्हें निलंबित करने वालों की मजबूरी भी और जरूरत भी।
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