सूरत। स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य में शत-प्रतिशत मतदान की अनिवार्यता के साथ ही महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित हो गई हैं।
जिसे देखते हुए शहर कांग्रेस ने अभी से वार्डवार महिलाओं का पैनल तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है। फिलहाल पार्टी का फोकस उन सीटों पर है जहां जीत की संभावनाएं सबसे ज्यादा हैं।
सूरत मनपा बोर्ड के चुनावों में अभी करीब एक वर्ष का समय बाकी है लेकिन इस बार कांग्रेस संगठन ने चुनावों को लेकर तैयारी अभी से शुरू कर दी है। राज्यपाल के प्रदेश में शत-प्रतिशत मतदान और महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को हरी झंडी देने के बाद सूरत शहर कांग्रेस ने संभावित महिला प्रत्याशियों पर फोकस करना शुरू कर दिया है।
शुरुआती दौर में पार्टी करीब डेढ़ दर्जन उन वार्डों पर फोकस करना चाहती है, जहां जीत की संभावनाएं सबसे ज्यादा हैं। इन वार्डों में चार महिलाओं का पैनल गठित किया जाना है, जिनमें सामान्य, पिछड़ी, अनुसूचित जाति और जनजाति की एक-एक महिला होगी। पार्टी का मानना है कि सूरत मनपा के चुनावों से पहले डीलिमिटेशन होना है।
ऐसे में वार्डों का पुर्नगठन होगा और आरक्षित सीटों की स्थिति भी बदलेगी। पार्टी के पास एक तो कार्यकर्ताओं का टोटा है और उस पर भी महिला कार्यकर्ताओं को सामने ला पाना नेतृत्व के लिए टेढ़ी खीर साबित होता रहा है। ऐसे में जबकि हर वार्ड से दो महिलाओं की चुनावों में भागीदारी होनी है, ऐन मौके पर कांग्रेस के लिए प्रत्याशी तलाश कर पाना आसान नहीं होगा। पार्टी ने तय किया है कि चार महिलाओं का पैनल तैयार किया जाए जिसमें हर वर्ग का प्रतिनिधित्व हो।
पार्टी का मानना है कि डीलिमिटेशन में आरक्षण की जो स्थिति हो, ऐन मौके पर संबंधित महिला को चुनाव में खड़ा किया जा सकता है। पार्टी का जनाधार फिलहाल सूरत पूर्व, लिम्बायत और उधना विधानसभा सीट पर ही बचा हुआ है। ऐसे में कोशिश यही है कि शुरुआत में इसी क्षेत्र के सर्वाधिक संभावनाशील वार्डों में ही संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया है।
खेला जा सकता है रिवर्स कार्ड
पार्टी का मानना है कि भाजपा समर्थक वार्डों में कांग्रेस के लिए सीट निकाल पाना बेहद मुश्किल है। ऐसी मुश्किल सीटों पर पार्टी जातिगत समीकरण से उलट कार्ड खेल सकती है। मसलन जिस सीट पर पटेल मतदाताओं का वर्चस्व है, वहां पार्टी गैर पटेल को टिकट देकर अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश करेगी।