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सिरोही कांग्रेस के आंदोलन से भाजपा व प्रशासन मे खलबली! - Sabguru News
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सिरोही कांग्रेस के आंदोलन से भाजपा व प्रशासन मे खलबली!

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सिरोही कांग्रेस के आंदोलन से  भाजपा व प्रशासन मे खलबली!
mobe assembelled at collecter buglow on 6 february
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सबगुरु न्यूज-सिरोही। कल तक जो कांग्रेस अपनी नीतियों और अनियमितताओं के चलते भाजपा और अन्य दलों के निशाने पर थी, वह अब भाजपा को उसकी गलत नीतियों और अनियमितताओं के लिए निशाने पर रख रही है। सिरोही संभवतः देश के उन गिने चुने जिलों में होगा जहां पर कांग्रेस के लगातार हमलों ने भाजपा ही नहीं सरकार की नुमाइंदगी करने वाले प्रशासन में भी खलबली पैदा कर दी हैं।

यह खुद भाजपा पदाधिकारी व प्रशासन के आला अधिकारी ने माना है कि उनमें आपसी फूट है और काम करने का सही तरीका नहीं होने से कांग्रेस के पूर्व विधायक संयम लोढा को लगातार भाजपा और प्रशासन पर हमला करने का मौका मिल रहा है। वह जन आंदोलनो के माध्यम से सरकार, भाजपा और प्रशासन की छवि को निरंतर रौंदते जा रहे हैं।

यह स्वीकारोक्ति व्हाट्स एप पर बाकायदा कई समूहों में की गई है। इससे पहले प्रवासियों ने कुछ समूहों में भाजपा और प्रशासन पर निशाना साधते हुए यह आरोप लगाया था कि सरकार और प्रशासन को सिरोही जिले के प्रवासी लोगों के हितों से ज्यादा उनके धन से मतलब है। इसके जवाब में यह संदेश भी चले।

यह भाजपा पदाधिकारी के मन की बात

भाजपा के एक आला पदाधिकारी कांग्रेस की ओर से लगातार मुंह की खाने के बाद भाजपा के जुझारू पदाधिकारी व्यथित हो गए। यह बात अलग है कि सिरोही शहर के कई जनप्रतिनिधि इनकी कार्य प्रणाली को लेकर भी व्यथित थे, जिसकी परिणिति इस 26 जनवरी को देखने को मिली थी। भाजपा के इस पदाधिकारी ने जो मन की बात लिखी वह हू-ब-हू कुछ इस तरह है…

भाजपा सिरोही जिले के सम्मानीय वरिष्ठ जनप्रधिनिधि गण व पदाधिकारी और जिला कोर समिति के सदस्य गण से निवेदन है की बीसूका, जिला कार्यकारिणी, मण्डल कार्यकारिणी और गैर सरकारी सदस्यों की घोषणा अविलम्ब करावें जिससे लम्बे समय से कतार में खडे कार्यकर्ता जनहित के काम कर सके।

निकाय पंचायत व सदस्यता अभियान और संगठन चुनाव व्यस्तता उपरान्त सरकार के 2 वर्ष से भी ज्यादा समय बीतने के बाद भी कार्यकर्ता व जनता की अपेक्षा अनुरूप कार्य नहीं हुआ है न जाने क्यों निराशा का वातावरण है। चिकित्सा मन्त्रीजी के प्रवास व प्रभारी मन्त्रीजी, सांसद महोदय के प्रवास उपरांत भी हॉस्पिटल की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है जो कटु सत्य है सिरोही बस स्टेण्ड पर आज भी वही हालात है।

पुलिस व्यवस्था भी सन्तोषजनक नहीं है संगठन परिवार से जुडे लोगों का स्थांतरण व विपक्षी सन्गठन के पदाधिकारियों का मन चाहे जगह पर लगना, स्टे लेकर दादागिरी से नौकरी करना, अधिकारियों का हावी रहना, कार्यकर्ता को काम हेतु दर्जनों चक्कर कटवाना व कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा खुलेआम सरकार व पार्टी पदाधिकारियो के विरोध सोशियल मीडिया पर दुष्प्रचार के बाद भी कार्यवाही नहीं होना आदि आदि समस्याओं का समाधान समय रहते होना जरूरी है।

कार्यकर्ता इसलिए नहीं बोलता क्योकि उसे बोलने पर विरोधी समझा जाता है जिले में कोई अप्रिय घटना होने पर जिला प्रशासन को अविलम्ब पहुंचकर उसका समाधान करना चाहिए बल्कि होता यह है की विपक्ष पहुंचकर वातावरण खराब कर लेता है और फिर समझाइश सरकारी सहायता का क्रेडिट विपक्ष लेता है। हमारा पदाधिकारी यहां पर भी सक्रिय प्रयास के बाद भी असफल माना जाता है।

पूर्व विधायक के नेतृत्व में विपक्ष जिस प्रकार से हावी होने का प्रयास कर रहा है उसका असर सीधा प्रशासनिक अधिकारी पर पडता है और अधिकारी उनकी हर बात मानेंगे।

पूर्व विधायक को जनता नहीं चाहती है पर अब जनता की अपेक्षा पर सरकार सन्गठन को खरा उतरना पडेगा, काम करना होगा तभी आगामी सकारात्मक परिणाम संभव है। कार्यकर्ता की भावनाओं को महत्व मिले उसकी बात को भी सुना जाए और उसका काम हो, जन हित के काम हो केवल बातों से अब काम नहीं चलेगा। अधिकारी जो कहते है वो 100 प्रतिशत सही है ये जरूरी नहीं है हमारा कार्यकर्ता भी 50 प्रतिशत सही हो सकता है।

हम सभी कार्यकर्ता पार्टी के अनुशासन में रहते हुए आप सबका मान सम्मान बनाए रखते पूरा सहयोग करने हेतु तन मन धन से 24 घंटे तैयार है जो करना हे जिसको बनना बनाना है उसका अविलम्ब निर्णय करे और कौर समिति व जिला टीम की नियमित बैठक करके जनहित कार्यो की समीक्षा हो तभी स्थानीय गांव से केंद्र तक सरकार में आना सार्थक होगा और पार्टी का उद्देश्य पूरा होकर मोदीजी व वसुंधराजी का सपना पूरा होगा।

अब जानिए प्रशासनिक अधिकारी की मन की बात

ईसरा आंदोलन के दौरान भाजपा के साथ-साथ प्रशासन को भी निशाना बनाया जा रहा था। ऐसे में जिले के प्रशासनिक अधिकारी ने भी मन की बात जनता के बीच रखी। उन्होंने लिखा….

प्रवासी भाईयों को कुछ क्लीयर बताना चाहता हूं। सबसे पहले आपको समझना ये है कि पीडित परिवार से लगातार वार्ता पुलिस प्रशासन और पिण्डवाडा एमएलए साहब कर रहे थे। इसमें ये बात जरूर था कि जब कोई नामित विपक्ष के नेता उनको 25 लाख का हूट लालच दिखाएंगे तो आदिवासी विश्वास कर लेते हैं।

सही बात तो यह है कि बाॅडी मोर्चरी में…

पीडित परिवार का गांव घर सिरोही तहसील में, लेकिन उनको जबरदस्ती ले जाकर ईसरा पिण्डवाडा में बैठाकर चारों तरफ से एक राजनीतिक पार्टी के समर्थक घेरकर उनको इधर-उधर हिलने नहीं दिया। अधिकारी को जाना इसलिए संभव नहीं था क्योकि वहां क्या माहौल होता सभी जानते और वहां पर मतलब की बात हो भी नहीं पाती। दूसरी तरफ पीडित परिवार के लिए 5.5 लाख बीपीएल और 4 अन्य योजनाओं का लाभ दिलाने में ध्यान दिया।

जो फैसला आज हुआ (सिरोही में धरने के बाद) वो दो दिन पहले ही ईसरा में बता चुके थे और हमें मालूम था कि ये सिरोही लेकर आएंगे। हमारे ही लोगों ने उनको प्रतिबंधित जगह, सरजावाव दरवाजे पर सभा करने की परमिशन चुपचाप दे दी। जुलूस को लेकर कलक्टर के यहां तक आने का काम भी प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस के सहयोग से हुआ।

पुलिस प्रशासन ऐसा कोई डिसिजन कैसे ले पाते बिना कोई चर्चा, स्थानीय लोगों कसे किए हुए। इसलिए इस मुददे को ऐसे समझो कि वो बस आला अधिकारी को परेशान करने और कमजोर करना अधिकारी वर्ग भी चाहते हैं और सरकार के सामने आला अधिकारी को गलत साबित करना कोई कुछ राजनीति लोग चाहते हैं, हो सकता है कि ऐसे आला अधिकारी का सिरोही में रहने में उन लोगों को उनका गंदा काम सिरोही में चलने में बाधा पैदा करता है। इसलिए आला अधिकारी को आउट करना था। काफी प्रयास धमकाने डराने का किया। असहयोग की रोज महसूस करता। छोडो फालतू ये सब….

आम जनता के लिए पानी का समस्या मिटाने में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान चालू किया है। उसका फस्र्ट फेज सम्पन्न करके निकलने का मन है। इस माहौल में राजनीति करना आला अधिकारी का काम नहीं। और लोग आजकल इतने जागरूक हैं वो हर कोई कदम चाहे अधिकारी का हो या नेता का उसका मतलब गहराई से समझते हैं अपने आप। प्रोडक्टिव कंस्ट्रक्टिव काम करेंगे और ये प्रवासी मूवमेंट को फेल नहीं होने देंगे।

आखिर क्या लिखा था प्रवासी ने

आंदोलन के अलावा जिले के आला अधिकारी का जो बयान आया उसके पीछे प्रवासियों में चलने वाली एक पोस्ट थी। आइए इसे भी जान लेवें कि इसमें क्या लिखा था कि भाजपा और प्रशासन दोनों को व्यथा हुई। यह है वो संदेश….

-राजस्थान से बाहर बैठे हुए प्रवासी यह जानना चाहते है कि ईसरा में हुई आदिवासी की मृत्यु के बाद लाश तीन दिन पडी रही। कल रात 11 बजे आदिवासियों एवं सरकार में समझौता हुआ। जिसका पूरा श्रेय पूर्व विधायक संयमजी लोढा के खाते में जाता है। कृपया हम प्रवासियों को बताए कि

1. जिला कलेक्टर आजतक पीडित परिवार से मिलने क्यों नहीं गए सो पीडिता को मिलने के लिए कलेक्टर के द्वार आना पडा?
2. पुलिस अधीक्षक सिरोही ने आज तक घटना स्थल का मौका मुआयना क्यों नहीं किया?
3. सांसद महोदय दो दिन सिरोही मुख्यालय व सिरोही के आसपास दौरे पर होने के बावजूद इस हादसे के पीडित परिवार की सुध नहीं ली।
4. माननीय गोपालन मंत्री व स्थानीय विधायक महोदय आज रविवार को क्षेत्र के दौरे पर है बेहतर होता कि एक दिन पहले पधारकर पीडिता के आंसू पौंछते।
5. क्या जिला प्रमुख मैडम तीन दिन के दौरान ईसरा गई?
6. क्या तारा भण्डारीजी एवं कमलेशजी दवे जैसे नेता पीडितों से मिलने गए?
7. क्या भाजपा नेताओं व अफसरों का जमीर मर चुका है?
कृपया बताये कि हम प्रवासियों से इतना प्रेम हमारे पैसों से है या हमसे है? अगर हमसे है तो आदिवासी गरीबों से क्यों नहीं?
जवाब दो।

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