नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियों के नेता सोमवार को निर्वाचन आयोग के दफ्तर पहुंचे और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में ‘पूर्ण अविश्वास’ जताते हुए आगामी चुनावों में वीवीपीएटी (पेपर ट्रेल ऑफ वोटिंग) तथा मतपत्र के इस्तेमाल की मांग की।
फरवरी-मार्च में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव तथा रविवार को विभिन्न राज्यों में हुए उप चुनावों के दौरान ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोपों के बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा वाम दलों सहित 13 विपक्षी पार्टियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग से मुलाकात की।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने यहां बैठक के बाद कहा कि हालिया चुनावों में जो कुछ हुआ, उसे देखते हुए चाहे वह जनता हो या राजनीतिक पार्टी, सबका ईवीएम पर से विश्वास उठ गया है। इसलिए, निर्वाचन आयोग को ईवीएम के बदले पुरानी बैलट पेपर प्रणाली का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 13 पार्टियों के प्रतिनिधियों ने निर्वाचन आयोग के समक्ष ईवीएम के बारे में अपने विचार रखे। हमने उनसे कहा कि स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव तब तक संभव नहीं है, जबतक ईवीएम का इस्तेमाल बंद नहीं कर दिया जाता।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने ईवीएम को लेकर चिंता पर चर्चा के लिए जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का आश्वासन दिया है।
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने हर राजनीतिक पार्टी की बात ध्यान से सुनी और सबकी शिकायत एक ही थी-ईवीएम पर से विश्वास उठना। निर्वाचन आयोग ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी और वह हमारी चिंता की गंभीरतापूर्वक पड़ताल करेगा।
विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस, मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी तथा आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने निर्वाचन आयोग पर ईवीएम से ‘छेड़छाड़’ करने तथा भारतीय जनता पार्टी का पक्ष लेने का आरोप लगाया है।
निर्वाचन आयोग से विपक्षी पार्टियों की यह मुलाकात दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप नेता अरविंद केजरीवाल द्वारा निर्वाचन आयोग पर ईवीएम से छेड़छाड़ करने तथा भारतीय जनता पार्टी का पक्ष लेने का आरोप लगाने के एक दिन बाद सामने आई है।
केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि ‘ईवीएम की खराबी’ समझकर जिसे खारिज किया जा रहा है, वह वास्तव में ईवीएम से की गई छेड़छाड़ है, जिसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अन्य पार्टियों के वोट भाजपा को मिलें।