नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच गुजरात विधानसभा को लेकर चुनावी तकरार तेज हो गई है। दोनों पार्टियों के तरफ से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
भाजपा ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में ओबीसी वर्ग के अल्पेश ठाकुर और दलित नेता जिग्नेश मावानी के शामिल होने पर सवाल खड़ा किया है।
भाजपा महासचिव और गुजरात प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस को ओबीसी विरोधी करार देते हुए कहा कि कांग्रेस बताए कि राज्यसभा में ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिए जाने के लिए मोदी सरकार द्वारा लाए गए विधेयक को उन्होंने क्यों गिराया?
यादव ने सोमवार को सोशल मीडिया ट्विटर पर गुजरात में सपा-कांग्रेस गठबंधन पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर पिछले तीन साल में हुए चुनावों की स्थिति को देखें तो कांग्रेस बैसाखी के सहारे खड़ी दिखने वाली पार्टी के सिवा कहीं और नजर नहीं आती है।
राहुल गांधी ने यूपी में अखिलेश यादव से समझौता किया तो सपा की बची-खुची साख को भी मिट्टी में मिला दिया और कांग्रेस के साथ-साथ सपा को भी ले डूबे। जम्मू-कश्मीर में जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, उमर अब्दुल्ला से मिले तो वहां नेशनल कांफ्रेंस को भी हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का पिछला रिकॉर्ड तो यही साबित करता है कि वे जहां-जहां, जिससे भी मिले हैं, उसे हाशिए पर पहुंचा देते हैं। अगर हम ध्यान से सोचें तो आजादी के बाद का एक सबसे बड़ा सच यह भी है कि कांग्रेस ने न्याय किसी को नहीं दिया जबकि धोखा हर किसी के साथ किया है।
कांग्रेस अभी तक गुजरात में न तो भाजपा सरकार के विकास पर कोई प्रश्न खड़ा कर पाई है, न ही भाजपा के सवालों का कोई तथ्यपरक उत्तर दे पाई है।
भूपेंद्र यादव ने राहुल गांधी पर ट्वीट खरीदने के आरोप लगाते हुए कहा कि देश को अब न तो कांग्रेस पर भरोसा रहा, न ही उनके युवराज में। इसलिए उन्हें अब दूसरे देशों से ट्वीटर पर खरीदे हुए रिट्वीट करने पड़ रहे हैं।
अब तो कांग्रेसी नेताओं की बातों से साफ़ दिख रहा है कि वे देश के राजनीतिक परिदृश्य से गायब होने की वजह से हताशा में डूबते जा रहे हैं। गुजरात का आगामी चुनाव कांग्रेस के जनाधार में होने वाले पतन की दिशा में एक और कदम साबित होने जा रहा है।
कांग्रेस नकारात्मक राजनीति करती है, वहीं भाजपा विकास और सुशासन की सकारात्मक राजनीति से गुजरात की जनता का जनादेश प्राप्त करती रही है।