होशंगााबाद। यूएस असेम्बली में नौकरी कर चुकी दिल्ली निवासी लीना शर्मा की हत्या उसके मामा ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप शर्मा और उसके दो मजदूरों ने मिलकर बड़ी बेरहमी से सतपुड़ा के घने जंगलों में बसे ग्राम डूडादाह के पास कर दी थी। हत्या के बाद साक्ष्य मिटाने के लिए इनके द्वारा लाश को सड़ाने के लिए यूरिया और नमक डालकर गड़ा दिया गया था।
29 अप्रेल 2016 से लीना अपने पैतृक गांव डूडाडाह से गायब हो गई थी, उसका मोबाईल बंद होने पर उनमे मित्रों द्वारा पुलिस को शिकायत के अलावा सोसल मिडिया पर उसकी खोज के लिए अलग से एक पेज भी बनाया गया था।
सूत्रों के अनुसार दिल्ली में एक प्रायवेट कम्पनी में काम करने वाली लीना शर्मा पिता एसके शर्मा 29 अप्रेल से लापता थी जिसकी तलाश में पुलिस चारों ओर लगी थी किन्तु कहीं से कोई सुराग नहीं किल रहा था।
लीना दिल्ली से 20 अप्रेल को अपने पैतृक गांव डूडादेह पहुंची और अपनी जमीन का सीमांकन कराने की तैयारी शुरू की थी 28 अप्रेल को वह जबलपुर कोर्ट जाने का कहकर निकली परन्तु उसके बाद नहीं दिखी।
इसके बाद भोपाल निवासी उसकी सहेली रितू शुक्ला ने होशंगाबाद पुलिस कन्ट्रोल रूम को इसकी जानकारी दी और हत्या करने वाले उसके मामा द्वारा पुलिस द्वारा खोजबीन शुरू करने के बाद 5 मई को लीना की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
इस मामले में पुलिस की बहुत ही किरकिरी होने पर पुलिस अधीक्षक आशुतोषसिंह स्वयं शुक्रवार को पुलिस थाने पहुंचे और थाना प्रभारी राजेन्द्र वर्मन के साथ एक घन्टा बिताने के बाद लीना शर्मा प्रकरण में चल रही जांच एवं बयानों को खंगाला और उसमें शिकायत दर्ज कराने वाले मामा पर ही शक की सुई पहुंच रही थी। इस दरम्यान पुलिस अधीक्षक ने मीडिया को दूर रखा।
लीना शर्मा के मोबाईल की लोकेशन 5 मई को दिन के 3.38 मिनिट से 3.39 पिपरिया दर्ज की और पुलिस ने पिपरिया, पचमढ़ी के सभी रिसोटों में तलाश शुरू की और जमीन को शिकमी पर हर साल लेने वाले व्यक्ति प्रकाश को बुलाकर पूछताछ की परन्तु कोई सुराग नहीं लगा।
पुलिस अधीक्षक आशुतोष सिंह के अनुसार पुलिस ने मामा प्रदीप शर्मा से गहन पूछताछ की तो वह टूट गया और उसने बताया कि 29 अप्रेल को उसका उसकी भान्जी लीला से विवाद हुआ था जिससे दोनों में तकरार बढ़ गई और प्रदीप के नौकर गोरेलाल आदिवासी ने लीना के सिर पर डण्डे से बार किया जिससे वह गिर गई और उसकी मौत हो गई।
तब प्रदीप ने राजेन्द्र नाम के नौकर के साथ उसकी लाश को टेक्टर ट्राली में रखा और डूडादेह और कामठी के जंगल में लेजाकर गड़ा दिया। रात को मामा प्रदीप अपने इन्हीं दोनों नौकरों को लेकर पुन: जंगल में उसी जगह पहुचा और लीना की लाश को निकालकर नमक और यूरिया के साथ गहरे में गड़ा दिया ताकि लाश जल्द सड़ जाए और गडड़े को रेत एवं पत्थरों से ढक़ दिया। पुलिस ने शनिवार को लीला की लाश निकालकर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।