जयपुर। विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने सदन में शून्यकाल के दौरान हंगामा करने वाले कांग्रेस विधायक रमेश मीणा को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया। हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही आधे घंटे तक स्थगित रही।
सदन की कार्रवाई फिर से शुरू होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वे विधानसभा को चौराहे का मंच नहीं बनने देंगे। कुछ सदस्यों की आदत सी पड़ गई है जब चाहा जो चाहा बोल दिया। उन्होंने कहा कि लोकसभा में तो ऐसे लोगों के लिए ऑटोमेटिक सस्पेंशन का प्रावधान है। उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक प्रद्युम्न सिंह ने भी सदन में हुई घटना को लेकर खेद जताया।
विधानसभा में शून्यकाल के दौरान दोपहर 12.10 बजे स्थगन प्रस्ताव पर रणधीर सिंह भिंडर फिल्मों की शूटिंग को लेकर बोल रहे थे। उन्होंने जैसे ही अपनी बात समाप्त की। कांग्रेस विधायक रमेश पिछले दो दिन में हुई ओलावृष्टि से फसल बर्बाद और डोडापोस्त का मुद्दा उठाने लगे। इस बीच विधायक मनोज कुमार और श्रवण कुमार भी खड़े होकर बोलने लगे।
विधायकों ने कहा कि सदन में फिल्मों पर चर्चा हो रही है, लेकिन किसानों की नहीं। इस बीच अध्यक्ष ने सभी से बैठने का निवेदन किया। अध्यक्ष ने विधायक रमेश मीणा को अपने स्थान पर बैठने को कहा और उनके वक्तव्य को कार्रवाई में शामिल नहीं करने का आदेश दिया।
इससे रमेश नाराज होकर बार-बार बोलते रहे। अंत में यहां तक कह दिया कि वे नहीं बैठेंगे। आप क्या कर लेंगे? इससे आहत अध्यक्ष ने विधायक को रमेश का नाम पुकारा और उन्हें सदन से बाहर जाने का आदेश दिया। इसके बाद सदन की कार्रवाई आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्रवाई दोपहर सवा बारह से 12.45 मिनट तक स्थगित रही।
विधानसभा की कार्रवाई जैसे ही शुरू हुई अध्यक्ष ने कहा कि वे आज की घटना से आहत हुए हैं। उन्होंने लोकसभा में इस तरह के व्यवहार को लेकर सदस्य पर की जाने वाली कार्रवाई का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सदन की कार्रवाई में व्यवधान अच्छा नहीं है।
कुछ सदस्य बार-बार सदन की कार्रवाई में व्यवधान डालने का प्रयास करते हैं। लेकिन अब वे विधानसभा को चौराहे का मंच नहीं बनने देंगे। उन्होंने व्यवस्था दी कि अब स्थगन प्रस्ताव को तभी शामिल करेंगे वह नियमों के तहत सही पाए जाएंगे।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक प्रद्युम्नसिंह ने भी इस घटना पर खेद प्रकट किया। उन्होंने कहा कि आसन की गरिमा को हम भी कायम रखना चाहते हैं। उन्होंने विश्वास दिलाया की कांग्रेस की ओर से आसन को पूर्ण सहयोग रहेगा।
संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि नियमों में स्पष्ट है कि मूल प्रस्ताव के सिवाय अध्यक्ष के किसी भी निर्णय को चुनौती नहीं दी जा सकती।