बेंगलुरू। कर्नाटक में सत्ताधारी कांग्रेस को गुरुवार को उस वक्त शर्मिदा होना पड़ा, जब वह विधान परिषद के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी के डीएच शंकर मूर्ति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को एक मत से हार गई।
कांग्रेस के सदस्य वी.एस. उगरप्पा द्वारा पेश प्रस्ताव के पक्ष में 36 विधायकों ने अपना मत दिया, जबकि प्रस्ताव के विरोध में 37 मत पड़े।
विधान परिषद के उपाध्यक्ष जनता दल (सेक्युलर) के मारिथिब्बे गौड़ा ने 75 सदस्यों वाले सदन में प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा, जहां कांग्रेस के 33, भाजपा के 23, जद (एस) के 13 तथा पांच निर्दलीय विधायक हैं। भाजपा के सदस्यों की कुल संख्या परिषद के अध्यक्ष को मिलाकर है।
उच्च सदन में वर्तमान में एक सीट खाली है। जद (एस) के कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष एच.डी.कुमारस्वामी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मूर्ति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला करने से पहले कांग्रेस नेताओं ने जद (एस) नेताओं को विश्वास में नहीं लिया। इसलिए हमने इसके खिलाफ मतदान करने का फैसला किया।
कांग्रेस की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष जी.परमेश्वर ने मंगलवार शाम को जद (एस) के अध्यक्ष एच.डी. देवगौड़ा से मुलाकात की और प्रस्ताव के पक्ष में पार्टी का समर्थन करने की मांग की, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री ने कांग्रेस को सलाह दी कि वे इसके बारे में कुमारास्वामी से चर्चा करें।
कुमारस्वामी ने कहा कि गुरुवार सुबह तक कांग्रेस के किसी भी नेता ने मुझसे परामर्श नहीं किया। कांग्रेस ने मीडिया के माध्यम से अध्यक्ष पद जद (एस) को देने की पेशकश की, लेकिन इस बारे में मुझे अवगत नहीं कराया।
उन्होंने कांग्रेस पर मुद्दे पर उलझन बनाकर जद (एस) को बांटने का आरोप लगाया। देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियों की अपने हितों के लिए जद (एस) का इस्तेमाल करने की आदत हो गई है।