सबगुरु न्यूज-आबूरोड। नगर पालिका में भाजपा बोर्ड पर कानून के विपरीत प्रस्ताव लेने का अरोप कांग्रेस ने लगाया है। नेता प्रतिपक्ष नरगिस कायमखानी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्षदों ने भाजपा बोर्ड पर कानूनों के विपरी किए गए प्रस्तावों को निरस्त करने के लिए जिला कलक्टर को तहसीलदार के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया है।
ज्ञापन में कांग्रेस पार्षदों ने बताया कि नगर पालिक की 18 जनवरी को आयोजित बैठक एजेंडे की बिंदु संख्या 1 में विषय आय-व्यय पर चर्चा का अंकित किया गया है। इसी बिंदु में नगर पालिका क्षेत्र के भवन निर्माण, मानचित्र स्वीकृति, नामांतरण, समस्त प्रकार के पट्टे, खांचा भूमि आवंटन, भू उपयोग परिवर्तन समिति समस्त कार्यों के लिए पालिकाध्यक्ष व अधिशासी अधिकारी को अधिकार दिए गए हैं। ये प्रस्ताव बिना पार्षदों की सहमति के लिखा गया है। यह नगर पालिका अधिनियम 2009 के प्रावधानों के विपरीत है। अतः शून्य है।
इसमें बताया गया कि अधिनियम की धारा 61 के तहत बोर्ड की शक्तियां सिर्फ समितियों को ही प्रत्यायोजित की जा सकती है। किसी व्यक्ति विशेष को नहीं। इसमें अबातया कि अधिनियम की धारा 194 में समस्त प्रकार के भवन निर्माणों का प्रावधान है।इसके अनुसार भवन निर्माण संबंधित अधिकार सिर्फ समितियों को ही प्रत्यायोजित किए जा सकते हैं, किसी व्यक्ति को नहीं। कानून विपरीत होने वाले प्रस्ताव को भी पार्षदों की सर्वसम्मति का उल्लेख एक तरह की धोखाधडी है। ऐसे किसी प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हुई।
ऐसे में कानूनो के विपरीत प्रस्ताव लिखने वाले अधिकारी पर कडी से कडी कार्रवाई हो और इन प्रस्तावों को निरस्त व शून्य माना जाए। कांग्रेस पार्षदों ने मांग की कि पालिका मंडल की ओर से अभी तक कोई समिति गठित नहीं की गई है। कानूनी प्रावधानों के अनुसार समय सीमा खतम होने के बाद राज्य सरकार द्वारा ही समितियों का गठन किया जा सकेगा अतः इस संबंध में राज्य सरकार को लिखकर समितियां गठित करवाने की मांग भी ज्ञापन में की गई।
इसमें बताया कि जिले के प्रभारी मंत्री, सांसद और विधायक का भी इस पर ध्यानााकर्षित करवाया गया, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। ज्ञापन पर पार्षद मीनू सैनी, दीपक सैनी, गिरीश सिंधल, कांतिलाल तथा कांग्रेस ब्लाॅक अध्यक्ष आबूरोड ने सहमति के हस्ताक्षर किए हैं।
-नोट आॅफ डिसेंट का प्रावधान
जैसा कि कांग्रेस ने बताया है वह नगर पालिका अधिनियम 2009 के प्रावधानानुसार नहीं है तो फिर बैठक के सचिव यानि आबूरोड नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने इस प्रस्ताव पर नोट आॅफ डिसेंट लगाकर स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक को क्येां नहीं भेजा।
नगर पालिका अधिनियम 2009 के तहत स्वायत्ता के मद में बोर्ड की ओर से कानूनों विपरीत प्रावधान पास करने की स्थिति में बैठक के सचिव को नोट आॅफ डिसेंट लिखकर भेजना का प्रावधान किया हुआ है। यह प्रावधान है वह सरकारी नियंत्रण है जो निकायों को स्वतंत्र और स्वच्छंद होने से रोकता है। संसदीय प्रक्रिया में जनहित को सुरक्षित रखने के लिए यह प्रावधान सरकार ने किया हुआ है।