नई दिल्ली। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सत्ता के हस्तांतरण के तहत कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अगले सप्ताह कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने को तैयार हैं। अध्यक्ष पद के चुनाव में राहुल अकेले उम्मीदवार हैं, इसलिए उनका चयन तय है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल करने के अंतिम दिन राहुल (47) के खिलाफ एक भी कांग्रेस उम्मीदवार की ओर से पर्चा दाखिल नहीं किया गया।
47 वर्षीय राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी की कमान संभालने वाले नेहरू-गांधी परिवार के छठे वारिस हैं। सोमवार को उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ता के बीच उत्सव के माहौल में अपना पर्चा दाखिल किया। उनकी मां और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने बेटे के लिए पहले नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर किए। राहुल गाांधी 2013 से कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं।
राहुल गांधी के दाखिल 89 नामांकन पत्रों के प्रस्तावकों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, जिन्होंने हाल ही में राहुल को पार्टी का ‘डार्लिग’ यानी लाडला कहा था, पर्चा दाखिल करते समय राहुल के साथ थे।
नाम वापसी की आखिरी तारीख 11 दिसंबर है, जब उनके चयन की घोषणा की जा सकती है क्योंकि उनके मुकाबले में कोई उम्मीदवार नहीं है। नामांकन पत्रों की जांच मंगलवार को होगी।
निर्वाचरण अधिकारी मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने पत्रकारों को बताया कि विभिन्न प्रदेशों से 89 नामांकन पत्र निर्वाचन अधिकारी को सुपुर्द किए। प्रमुख कांग्रेसी नेताओं ने राहुल के नाम पर पर्चे दाखिल किए, जिनमे पूर्व प्रधानमंत्री, कांग्रेसी कार्यकारिणी समिति के सदस्य, सांसद, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख शामिल थे।
हालांकि रामचंद्रन ने विस्तृत विवरण नहीं दिया और कहा कि सभी पर्चे एक उम्मीदवार के पक्ष में दाखिल हुए हैं। जाहिर है कि वे उम्मीदवार राहुल गांधी ही हैं। पार्टी अध्यक्ष पद के निर्वाचन कार्यालय की ओर से कुल 90 नामांकन पत्र जारी किए गए थे, लेकिन एक पत्र नहीं दाखिल किया जा सका क्योंकि उसके लिए पर्याप्त प्रस्तावक नहीं थे।
नामांकन पत्र भरने की यह प्रक्रिया विवाद से बच नहीं पाई और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मुगल वंश को याद किया, जिसे लपकने में प्रधानमंत्री ने देर नहीं की और उन्होंने उसमें कुछ जोड़कर औरंगजेब राज कहा।
अय्यर ने राहुल गांधी के बारे में डायनेस्टी अर्थात वंश की राजनीति को लेकर भाजपा के ताने का जवाब देते हुए कहा कि जब शाहजहां जहांगीर की जगह आए तो क्या कोई चुनाव हुआ था? और आरंगजेब ने जब शाहजहां की जगह ली थी तो क्या कोई चुनाव हुआ था। सबको मालूम था कि बादशाह की गद्दी पर पर स्वत: उनके वारिस का हक होगा।
उन्होंने आगे कहा कि लेकिन, लोकतंत्र में चुनाव होते हैं। मैं खुलेआम (शहजाद) पुनावाला को नामांकन दाखिल करने और मुकाबले में आने को आमंत्रित करता हूं। साथ ही उन्होंने कहा कि इससे पहले किसी ने पूनावाला का नाम नहीं सुना था।
मणिशंकर अय्यर भाजपा की आलोचनाओं का जवाब दे रहे थे जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस नेता पूनावाला ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को ढकोसला और राहुल की प्रोन्नति को धोखा बताया है।
मोदी ने अय्यर की टिप्पणी का जिक्र करते हुए गुजरात में अपने एक चुनावी भाषण में कहा कि अय्यर एक परिवार के प्रति अपनी निष्ठा दिखाने में कभी संकोच नहीं करते हैं, गर्व से कहते हैं कि शाहजहां ने जहांगीर की जगह ली थी तो क्या कोई चुनाव हुआ था? और जब औरंगजेब ने शाहजहां की गद्दी संभाली थी तो कोई चुनाव हुआ था?
मोदी ने कहा कि कांग्रेस नेता मानते हैं कि कांग्रेस पार्टी नहीं कुनबा है। यह तय है कि राहुल अपनी मां सोनिया गांधी से पार्टी प्रमुख का उत्तराधिकार ग्रहण करने में कामयाब होंगे। सोनिया गांधी 1998 से कांग्रेस की अध्यक्ष हैं और इस पद पर उनका कार्यकाल सबसे लंबा रहा है। मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं।
राहुल के नामांकन पत्र दाखिल पर हस्ताक्षर करने वालों में मोतीलाल वोरा, अहमद पटेल, तरुण गोगई, वी. नारायणसामी, अशोक गहलोत, कमलनाथ, आनंदशर्मा, जयपाल रेड्डी, सुशील कुमार सिंदे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, सलमान खुर्शीद, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कर्ण सिंह जैसे प्रमुख कांग्रेस नेता शामिल थे।
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