गांधीनगर। कांग्रेस अध्यक्ष बनने और गुजरात चुनाव के परिणाम आने के बाद राहुल गांधी अपने पहले गुजरात दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि थोड़े और प्रयास से भाजपा को राज्य में हराया जा सकता है। राहुल सुबह सोमनाथ मंदिर दर्शन करने गए और वहां उन्होंने पूजा-अर्चना की।
राहुल ने कहा कि हम चुनाव में हार गए, लेकिन हमने जीत दर्ज की है। यह वास्तविकता है। हम जीते, क्योंकि उन्होंने क्रोध, पैसे, पुलिस, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, उद्योगपतियों के साथ लड़े। हमारे साथ केवल सच्चाई थी।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम उनके खिलाफ खड़े हुए और पूरे देश को दिखाया कि कांग्रेस लड़ सकती है और जीत सकती है। गुजरात के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दिखाया कि अगर वे अपनी विचारधारा पर लड़ेंगे, तो वे नहीं हारेंगे।
राहुल ने हिंदी में अपनी बात रखी और कहा कि हमने मोदीजी की विकास की सभी चर्चाओं को ध्वस्त कर दिया। अब वह इसके बारे में बात नहीं कर सकते।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 80 सीटों पर जीत दर्ज की और 182 सदस्यीय सदन में भाजपा 99 सीटें जीतने में कामयाब रही। भाजपा ने 2012 में 115 सीटें जीती थी, और इस बार उसने 150 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था।
राहुल ने कहा कि तीन-चार महीने पूर्व यहां यह सवाल था कि कांग्रेस चुनाव भी लड़ पाएगी या नहीं। किसी की भी नजर में हमारी जीत की संभावना नहीं थी। भाजपा कहती थी कि कांग्रेस 20-25 सीटें जीतेगी और वे 150 से अधिक सीटें जीतेंगे।
राहुल ने सुबह सोमनाथ मंदिर का दर्शन किया और समय कम होने की वजह से मंदिर के रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं किया। इससे पहले उनके यहां आने के बाद तब विवाद खड़ा हो गया था, जब मंदिर रजिस्टर में उनका हस्ताक्षर हिंदुओं के कॉलम से अलग पाया गया था। इसके बाद भाजपा ने इस मुद्दे पर राहुल को घेरने की कोशिश की थी।
इसके बाद राहुल दिन में अहमदाबाद में उत्तर गुजरात के कांग्रेस नेताओं से मिले और साथ में उन उम्मीदवारों से भी मुलाकात की, जिन्होंने हालिया विधानसभा चुनाव लड़ा था। चुनाव के बाद पहली बार राहुल सभी उम्मीदवारों से एक-एक कर मिले।
पार्टी सूत्रों के अनुसार उत्तर गुजरात में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का कारण बाहरी उम्मीदवारों को टिकट देना था, जिन्हें अल्पेश ठाकोर के कहने पर टिकट दिया गया था। ठाकोर चूंकि खुद के लिए प्रचार करने में व्यस्त थे, इसलिए इन उम्मीदवारों के लिए समय नहीं निकाल पाए।
राहुल ने इसी तरह की बैठक मध्य गुजरात के नेताओं से और उसके बाद सौराष्ट्र के नेताओं से और अंत में दक्षिण गुजरात के उम्मीदवारों और नेताओं से मुलाकात की। बैठकों में सिर्फ मौजूदा विधानसभा चुनाव पर ही नहीं, बल्कि 2019 लोकसभा चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा की गई।
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