नई दिल्ली। कांग्रेस ने गोवा और मणिपुर में विधानसभा के नतीजों में कम सीटें आने के बाद भी सरकार बनाने का दावा पेश करने पर भाजपा पर जनादेश के ख़िलाफ जाने का आरोप लगाते हुए इस मुद्दे को मंगलवार को संसद में उठाते हुए स्थगन प्रस्ताव दिया।
हालांकि इसके बावजूद सरकार द्वारा गठन का मुद्दा नहीं उठाने देने पर गोवा और मणिपुर में सरकार गठन की भाजपा की कोशिशों के खिलाफ कांग्रेस ने मंगलवार को लोकसभा में पहले जमकर हंगामा किया और बाद में वॉकआउट किया।
दरअसल कांग्रेस और भाजपा दोनों में से किसी भी पार्टी को इन दोनों राज्यों में पूर्ण बहुमत नहीं मिला पाया है। वहीं दोनों राज्यों में सरकार बनाने की रस्साकशी में भाजपा आगे निकल चुकी है। वहीं भाजपा ने अपने लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी कर उन्हें सदन में मौजूद रहने को कहा है।
गोवा में मंगलवार शाम मनोहर पर्रिकर सीएम पद की शपथ लेने वाले हैं। इसी मसले पर पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि एक ऐसी पार्टी जो दूसरे नंबर पर आई है उसे सरकार बनाने का कोई अधिकार नहीं है।
बीजेपी गोवा और मणिपुर में चुनाव (बहुमत) चुरा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली बीजेपी मणिपुर और गोवा में दूसरे नंबर पर है। गोवा में कांग्रेस को 17 और बीजेपी को 13 सीटें मिली हैं।
मणिपुर में भाजपा को 21 और कांग्रेस को 28 सीटें मिली हैं। ऐसे में परंपरा ये रहती है कि राज्य के राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्यौता देते हैं। अगर सबसे ज़्यादा सीट हासिल करने वाली पार्टी बहुमत साबित नहीं कर पाती है तब दूसरी बड़ी पार्टी को मौका मिलता है।
वहीं पांच राज्यों के नतीजों के बाद पहले भी कांग्रेस कटाक्ष कर चुके जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने टविट कर कहा, ‘ये क्रिकेट नहीं है। सत्ता पाने के लिए दल-बदलुओं से गठजोड़ कर आप एक अलग तरह की पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते।’
दूसरी ओर मणिपुर में भाजपा की स्थिति पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने लिखा, ‘मणिपुर में भाजपा का वोट शेयर 2 से बढ़कर 36.3 फीसदी हुआ है। कांग्रेस को 35 फीसदी वोट और 7 ज़्यादा सीटें मिली हैं। कम से कम 3 सीटों पर भाजपा बहुत कम फासले से हारी है।’
उल्लेखनीय है कि रविवार को भाजपा ने बिना कोई देरी किए गोवा के लिए अपना मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को घोषित कर दिया है और उन्हें बहुमत साबित करने का मौका भी मिल गया है। वहीं कांग्रेस असमंजस के दौर में ही रह गई।
गोवा के अलावा जहां भाजपा के पास मणिपुर में भी नबंर हैं, वहीं कांग्रेस इसी बात को लेकर असमंजस में रही कि वह मुख्यमंत्री का दावेदार किसे बनाए। गोवा फॉरवर्ड पार्टी को राज्य में 3 सीटे मिलीं। राज्य में सरकार बनवाने के लिए यह अहम भूमिका निभा सकती है लेकिन पार्टी का राज्य कांग्रेस अध्यक्ष लुइजीन फालैरो से विरोध है।
हालांकि जीएफपी कांग्रेस के दिगंबर कामत के नाम पर राजी थी लेकिन लॉबिंग के चलते कांग्रेस की मुश्किले बढ़ गईं। राज्य में चुनकर आए नए 17 विधायकों ने सीक्रेट बैलेट के जरिए अपना नेता चुना और हाई कमान को इसकी जानकारी दी लेकिन उसी दौरान भाजपा ने तेजी से काम करते हुए अपना मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। पार्टी दिगंबर कामत और लुइजीन फालैरो के बीच ही उलझकर रह गई।
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