उदयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि यदि देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है तो भारत अपने बुनियादी ढांचों के आधुनिकीकरण में अधिक विलंब बर्दाश्त नहीं कर सकता।
मोदी ने एक सार्वजनिक सभा में कहा कि देश के विकास में बुनियादी ढांचा एक बड़ी भूमिका निभाता है और नीति निर्माता अक्सर इस तरह की समय लेने वाली परियोजनाओं से बचते हैं, जिसमें बड़े निवेश की जरूरत होती है।
मोदी ने कहा कि लेकिन हम जानते हैं कि यदि देश को नई ऊंचाई पर ले जाना है तो बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण पर जोर देना होगा।
मोदी ने कहा कि चाहे यह रेल, पानी या बिजली आपूर्ति, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क, जल मार्ग या तटीय संपर्क मार्ग हो, भारत को आधुनिक बुनियादी ढांचा तैयार करने में देरी से इसका फायदा नहीं मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बार सभी चीजें सही जगह पर होने पर यह लोगों के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आएंगे।
मोदी ने कहा कि उदाहरण के तौर पर राजस्थान में शुरू की गई 9,000 करोड़ रुपए लागत वाली सड़क परियोजनाएं किसानों को अपने पसंद के बाजार में पहुंचने में मदद करेंगी। इससे एक बीमार मां को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल भी मिलेगा, जो उसके गांव में उपलब्ध नहीं है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की स्वर्ण चतुर्भुज परियोजना का उदाहरण देते हुए मोदी ने कहा कि इसने गुजरात के किसानों को एक दिन में अपने उत्पाद को दिल्ली के बाजार में ले जाने में सक्षम बनाया, जिससे उनकी आय में इजाफा हुआ।
मोदी ने कहा कि सड़क बुनियादी ढांचा खास तौर से राजस्थान के लिए फायदेमंद है। यह एक बड़ा राज्य है, जहां पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
मोदी ने कहा कि सरकार 9,500 करोड़ रुपए लागत वाली परियोजनाओं की आधारशिला रख रही है, और इन्हें बिल्कुल उसी तरह समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा, जिस तरह से 5,600 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजनाओं को पूरा किया गया, जिनका उद्धाटन मंगलवार को किया गया।
उन्होंने कहा कि 300 करोड़ रुपए की लागत वाले पुल के निर्माण में 11 साल का लंबा समय लगा। मोदी ने कहा कि इसकी तुलना 5,600 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजनाओं से कीजिए, जो 2014 से पूरी है और उनका अभी उद्घाटन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हम समयबद्ध तरीके से परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम एक ऐसी संस्कृति लाने की कोशिश कर रहे हैं कि हम जिसे भी शुरू करेंगे, उस कार्य को पूरा करें।
मोदी ने कहा कि परियोजनाओं की धीमी रफ्तार या फंसे होने के कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है, क्योंकि लागत कई सालों में बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि फंसी हुई परियोजनाओं को पूरा करने में बहुत से संसाधनों व प्रयास की जरूरत होती है।