नई दिल्ली। हमारे समाज में अंधविश्वास किस कदर फैला हुआ है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केरल में एक परिवार ने जिंदा होने की उम्मीद में शव को तीन महीने तक संभालकर रखा।
काले जादू के नाम पर देश में अंधविश्वास फैलाने के भ्रष्ट आचरण पर अंकुश लगाने के लिए वैदिक ग्रेस फाउंडेशन ने ‘कान्शियस प्रोफेसी’ सिद्धांत पेश किया है। यह सिद्धांत ब्रह्मांड के साथ मानव के व्यापक संबंध की अभियक्ति पर काम करती है।
वैदिक ग्रेस फाउंडेशन के संस्थापक युवा कॉस्मिक काउंसलर विनायक भट्ट ने एक बयान में कहा कि विज्ञान पर आधारित कॉन्शियस प्रोफेसी के मुताबिक, हमारे बह्मांड में एक विद्युत चुम्बकीय एवं गुरुत्वाकर्षण युक्त सौर प्रणाली है जो मानव चेतना को प्रभावित करती है।
उन्होंने कहा कि ऋग्वेद की 40 शाखाओं में वर्णित है कि हर मनुष्य में ज्योतिषीय ऊर्जा विद्यमान होती है। ऐसे में जरूरत है तो यह समझने की कि कैसे कोई अपनी चेतना को सही जगह पर लगाता है।
विनायक भट्ट ने कहा कि हमारे देश में अंधविश्वास की जड़ें ग्रामीण आबादी में ही नहीं, बल्कि शहरी समुदायों में भी फैली हुई हैं। एक कंपनी द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार पाया गया है कि लगभग 61 प्रतिशत भारतीय नौकरीपेशा लोग अंधविश्वास के शिकार हैं।
उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी की घटनाओं को देखते हुए, जहां बुरी ग्रह दशा व जादू का भय दिखाकर लोगों को ठगा जाता है वहां जरूरी हो जाता है कि लोग हमारे पुराणों में वर्णित वास्तविक ज्योतिष ज्ञान, यानी चेतना पर आधारित ज्योतिष को जानें और इस तरह की घटनाओं का शिकार होने से बचें।