मुंबई। विवाह का वचन देकर अथवा किसी भी तरह दो बालिग लोगों के बीच आपसी सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं हो सकता। इस तरह का ऐतिहासिक निर्णय शुक्रवार को हाईकोर्ट ने दिया है।
यह निर्णय अदालतों व पुलिस प्रशासन के लिए मार्गदर्शक हो सकता है। हाईकोर्ट में 26 वर्षीय महिला ने अपने पुराने पुरुष मित्र पर विवाह का वचन देकर सतत बलात्कार करने, मारपीट करने अपहरण करने जैसे आरोप लगाते हुए आरोपी को सजा दिलाए जाने की मांग की थी।
इसी मामले में दूसरे पक्ष ने भी जनहित याचिका के मार्फत अपना पक्ष कोर्ट के समक्ष रखा था। मामले में न्याय देते समय कोर्ट ने कहा कि 26 वर्षीय महिला ने अपनी मर्जी से उस समय युवक के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया था और उसे इसके परिणाम की जानकारी थी।
इसलिए यह मामला किसी भी तरह बलात्कार नहीं हो सकता है। कोर्ट ने मारपीट, अपहरण, धोखा जैसे मामलों में लगाए गए आरोपों पर अपनी टिप्पणी नहीं की है, इसलिए अगली सुनवाई में इन आरोपों पर विचार किया जाने वाला है। हाईकोर्ट के इस निर्णय को ऐतिहासिक माना जा रहा है।