सिरोही। पुलिस लाइन में परेड के दौरान गश खाकर गिर गए कांस्टेबल को पुलिस कर्मियो ने सोमवार सवेरे जिला चिकित्सालय में भर्ती करवाया।
बैल्ट नम्बर 148 कांस्टेबल गजेन्द्रसिंह और उसकी पत्नी ने चिकित्सालय में बताया कि वह न्याय के लिए रविवार सवेरे से ही खाना और पानी दोनों ही नहीं खा रहा है। इस दौरान वह नियमित भी है, सोमवार को परेड के दौरान कमजोरी के कारण उसे चक्कर आ गए और उसे सहयोगियों ने जिला चिकित्सालय में भर्ती करवाया जहां उसका उपचार चल रहा है।
यह है मामला
कालन्द्री थाना क्षेत्र के कालन्द्री कस्बे में 18 सितम्बर, 2009 को पुलिस अधीक्षक कार्यालय से कार्मिकों ने दबिश देकर एक स्थान पर 20 जनों को जुआ खेलते पकडा। जुआ जिस क्षेत्र में पकडा गया वह कांस्टेबल गजेन्द्रसिंह की बीट थी, इसलिए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक हिंगलाजदान बारहठ ने उसे निलंबित कर दिया।
यह है आरोप
कांस्टेबल गजेन्द्रसिंह का आरोप है कि उसे झूठा फंसाया गया है। उसका कहना है कि जिस समय यह कार्रवाई की गई उस समय वह आधिकारिक डयूटी पर सिरोही आया हुआ था। उसने यह भी आरोप लगाया कि दस्तावेजों में पुलिस अधिकारियों की ओर से की गई कार्रवाई गलत सिद्ध हो रही है, और अधिकारी तत्कालीन अधिकारियों को बचाने के लिए उसके साथ न्याय नहीं कर रहे है।
उसने आरोप लगाया कि डीएसबी के एक कार्मिक और तत्कालीन आला अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन दोनों ने मिलीभगत करके उसे झूठा फंसाया है। गजेन्द्रसिंह का कहना है कि उसके पास वो तमाम दस्तावेज हैं जिनके आधार पर वह अपने आपको का निर्दोष बता रहा है। उसका दावा है कि उसके पास एफआईआर और जुआ खेलते हुए पकडे जाने के दौरान बनाई गई मौका फर्द रिपोर्टें है। इन दोनों के तथ्या विरोधाभासी हैं।
उसका कहना था कि एक में पर्ची से जुआ खेलते हुए बताया है जबकि दूसरी में ताश से, एक में पर्चियों की बरामदगी बीस जनों की पेंटों से बताई गई है जबकि दूसरे में चार जनों को धोती पहने हुए बताया गया है। उसका कहना है कि उसने आलाअधिकारियों से भी बात की, लेकिन सभी मेरे पर आरोप हटाने को तो तैयार हैं, लेकिन वह यह भी वादा चाहते हैं कि दस्तावेजों के आधार पर वह किसी तरह की कार्रवाई नहीं करें।
फिलहाल कांस्टेबल डयूटी पर तो बहाल है, लेकिन उसके सर्विस रिकार्ड में यह निलंबन दर्ज है। इससे पहले भी न्याय की मांग के लिए यह कांस्टेबल भूखा रह चुका है। उसके बाद इस मामले की जांच बाली के एएसपी को सौंपी गई थी, गजेन्द्रसिंह का कहना है कि पांच महीने होने पर भी जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है।