नई दिल्ली। अवमानना मामले का सामना कर रहे कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के सात जजों के खिलाफ ऑर्डर जारी कर दिया। उनका आरोप है कि इन जजों ने “प्रिंसिपल ऑफ नेचुरल जस्टिस” का वॉयलेशन किया है।
इससे पहले वे सुप्रीमकोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए और काम पर वापस भेजने की मांग की, जिसे शीर्ष अदालत ने ठुकरा दिया।
व्यक्तिगत तौर पर अब तक पेश नहीं होने के कारण जस्टिस कर्णन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था।
वह मुख्य न्यायाधीश जेएस केहर की अध्यक्षता वाली सात-सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष पेश हुए और उन्हें काम पर वापस भेजे जाने की मांग की।
उनकी मांग पर सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ने कहा कि वे या तो माफी मांगे या आरोपों का सामना करें।
कोर्ट की ओर से अपनी मांग खारिज होने पर जस्टिस कर्णन ने फिर सख्त बयान दिया। एक न्यूज एजेंसी ने उनसे सवाल किया कि क्या उन्हें सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच के खिलाफ कोई एक्शन लेने का हक है, तो उन्होंने कहा कि हां, वे सातों जजों के खिलाफ एक ऑर्डर पास करने जा रहे हैं।
कोर्ट में ये भी हुई बहस
जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आप मेरा काम (ज्यूडिशियल) बहाल कर दें, नहीं तो मेरी दिमागी हालत सही नहीं हो पाएगी।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम देख रहे हैं उनकी (जस्टिस कर्णन) दिमागी हालत ठीक नहीं लगती और उन्हें समझ भी नहीं आता कि हकीकत में वे क्या कर रहे हैं।
बता दें कि जस्टिस कर्णन ने नोटबंदी के बाद पीएओ को लेटर लिखकर कुछ जजों के करप्ट होने का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अदालत की अवमानना माना था।