पटना। इन दिनों पूरे देश में मुस्लिम धर्मगुरु डॉ. जाकिर नाईक की चर्चा हो रही है । नाईक को लेकर हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं।
8 जुलाई को भी यह बात सामने आई कि नाईक की संस्था को करोड़ों रुपए विदेशों से प्राप्त होता है। डॉ. नाईक भारत में रहकर मुस्लिम धर्म का प्रचार प्रसार करें, इस पर किसी को भी कोई ऐतराज नहीं है, क्योंकि भारत धर्म निरेपक्ष राष्ट्र है। इस धर्म निरपेक्षता की वजह से ही कोई भी व्यक्ति भारत में अपने धर्म के अनुरूप जीवन यापन कर सकता है।
इतना ही नहीं विदेश से आकर भारत में अपने धर्म के अनुरूप आचरण भी कर सकता है। भले ही उसके अपने देश में धर्म निरपेक्षता नहीं हो। डॉक्टर जाकिर नाईक के ताजा प्रकरण में यह बात सामने आई है कि गत दिनों बांग्लादेश में एक रेस्टोरेंट पर जो आतंकी हमला हुआ, उसमें एक आतंकी डॉ. नाईक के धार्मिक प्रवचनों से प्रभावित था।
आतंकी वारदात में जो आतंकी पकड़े गए, उन्होंने भी यह स्वीकार किया वे डॉ. नाईक के विचारों से प्रभावित हुए हैं। यानि डॉ. नाईक के धार्मिक प्रवचन सुनने के बाद अनेक युवक आतंकी बन गए।
डॉ. नाईक के विचारों के साथ-साथ अनेक बार यह बात भी सामने आई है कि युवाओं को आतंक का प्रशिक्षण देने के दौरान यह कहा जाता है कि यदि हमले के दौरान मारे गए तो उन्हें जन्नत नसीब होगी। इसलिए यह सवाल उठता है कि क्या किसी निर्दोष व्यक्ति की हत्या करने पर जन्नत नसीब हो सकती हैं?
डॉ. जाकिर नाईक और भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले पाकिस्तान के धर्मगुरु हाफिज सईद अपने बचाव में अब कुछ भी कहें, लेकिन यह सत्य है कि बांग्लादेश के रेस्टोरेंट में उन 22 गैर मुसलमानों का सर काट डाला, जिन्होंने कुरान की आयतें नहीं सुनाई।
अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान और सज्जादानशीन जैनुअल आबेदन अली कई बार कह चुके हैं कि आतंकवादी इस्लाम के दुश्मन है। आबेदीन साहब ने तो यहां तक कहा है कि पाकिस्तान में जो आतंकी प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं, उन्हें भारतीय सेना पाकिस्तान में घुसकर नष्ट कर दे।
आबेदीन साहब का यह भी कहना है कि न तो मोहम्मद साहब न कुरान शरीफ में आतंक की शिक्षा दी गई है। जब कुरान शरीफ में आतंक की शिक्षा है ही नहीं तो फिर डॉ. जाकिर नाईक और हाफिज सईद जैसे मुस्लिम धर्मगुरुओं की तकरीरों से प्रभावित होकर मुस्लिम युवक निर्दोष लोगों की हत्या क्यों करते हैं?
एक ओर ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान जैनुअल आबेदीन हैं जो पूरी दुनिया में सूफीवाद का प्रचार कर रहे हैं तो दूसरी और डॉ. जाकिर नाईक और हाफिज सईद जैसे धर्मगुरु हैं, जिनके विचारों से आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है।
अब यह मुसलमानों को तय करना होगा कि वे जैनुअल आबेदीन के बताए मार्ग पर चले या फिर हाफिज सईद व जाकिर नाईक के रास्ते पर। दुनिया भर के मुसलमानों में ख्वाजा साहब के वंशज जैनुअल आबेदीन का भी मान सम्मान है, लेकिन आज तक किसी भी आतंकवादी ने यह नहीं कहा कि उसने ख्वाजा साहब के वंशज आबेदीन की तकरीर सुनकर निर्दोश लोगों की हत्या की है।
यह माना कि मुस्लिम धर्म में 73 फिरके हैं और इन फिरकों के अनुयायों में आपसी मतभेद भी हैं, लेकिन शायद ही कोइ फिरका होगा, जो निर्दोश लोगों की हत्या करने की शिक्षा देता है। दीवान आबेदीन साहब का कहना है, इस्लाम धर्म तो इतना अच्छा है कि जिसमें अपने परिवार से पहले पड़ौसी की मदद करने की शिक्षा दी गई है।