भोपाल। मध्य प्रदेश के आईएएस अधिकारी रमेश थेटे पर सरकार ने शिकंजा कस दिया हैं। उज्जैन में एडिशनल कमिश्नर रहते हुए सीलिंग की जमीन को अनुमति देने के मामले में सरकार ने अभियोजन की स्वीकृति दे दी हैं।
सरकार के इस फैसले पर आईएएस थेटे ने कहा मुख्य सचिव को वचन दिया हैं, जान दे दूंगा लेकिन वचन नहीं तोडूंगा। दरअसल, रामेश थेटे ने उज्जैन में उपायुक्त के पद पर रहते हुए सीलिंग के 25 प्रकरणों का तुरंत-फुरत निपटारा कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया था।
इसमें कई पटवारी तथा तात्कालीन तहसीलदार, नायब तहसीलदार भी निशाने पर हैं। माना जा रहा है कि लोकायुक्त पुलिस अभी और भी प्रकरण दर्ज कर सकती है।
जानकारी के अनुसार लोकायुक्त पुलिस ने ग्राम धतरावदा निवासी चेनाबाई पति दरवेज नायता की 2.155 हैक्टर भूमि वर्ष 1990 में सीलिंग एक्ट के अंतर्गत शासन द्वारा अधिग्र्रहित की गई थी।
जिसे आईएएस थेटे ने अन्य अधिकारियोंं के साथ मिलकर सांठ-गांठ करते हुए उक्त महिला के वारिस करामत पिता नगजी के नाम पर कब्जा बता दिया और कृषक के पक्ष में नामांतरण करने के आदेश जारी कर दिए।
21 मार्च 2013 को नामांतरण कर दिया गया। इस गौरख धंधे में धतरावदा के पटवारी शंकरलाल कोरट, राजस्व निरीक्षक मूलचंद जुनवाल, अपर तहसीलदार धर्मराज प्रधान तथा तहसीलदार आदित्य शर्मा भी आरोपी बनाए गए हैं।
गौरतलब है कि रमेश थेटे तथा पटवारी आदर्श जामगड़े पर पहले ही लोकायुक्त पुलिस ने एक मामला दर्ज किया हुआ है।
बताया जाता है कि सीलिग की भूमि मुक्त करने के खेल में रमेश थेटे तथा उनके लोगों ने लगभग 25 करोड़ रुपए का खेल खेला था। अब लोकायुक्त पुलिस एक-एक मामले का खुलासा करते हुए मुकदमे दर्ज कर रही हैं।