सबगुरु न्यूज-माउण्ट आबू। राजस्थान में पुलिस, पत्रकार, दलाल और महिलाओं के गठजोडा से उपजे माउण्ट आबू के बहुचर्चित ब्लेकमेलिंग और सेक्स रेकेट मामले में गिरफ्तार माउण्ट आबू के निलम्बित थानाधिकारी तथा शेष दो आरोपियों को रविवार को माउण्ट आबू न्यायालय में पेश किया। जहां से उन्हें 20 तारीख तक पुलिस रिमाण्ड पर सौंपा गया है। इतस मामले की जांच कर रहे पाली के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जयपाल यादव ने सबगुरु न्यूज को बताया कि उन्हें पाली लाकर पूछताछ की जाएगी।
-कई दिन से थे फरार
इस प्रकरण में सात लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से जोधपुर के एक पत्रकार मोइनुल हक और इस घटना में शामिल महिला शिवानी तथा गोपाल मेंघवाल को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। गोपाल ही युवती शिवानी का ब्वायफ्रेंड है। यही माउण्ट आबू में युवती के कमरे में सीआई को लेकर पहुंचा था। इन्हें जेल भेज दिया गया था। इस वारदात को अंजाम देने वाले माउण्ट आबू के तत्कालीन थानाधिकारी रामचंद्रसिंह के साथ गोपलांसह ढेलाडा, गोविंदसिंह को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
इस प्रकरण में एफआईआर में छह ही नाम थे, लेकिन तीन गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के बाद पारसाराम नाम के एक अन्य व्यक्ति के भी इस प्रकरण में शामिल होने की जानकारी पुलिस के सामने आई है। इस प्रकरण में वर्दी को दागदार करने वाले माउण्ट आबू के तत्कालीन सीआई को 7 सितम्बर को आईजी हवासिंह घूमरिया ने लाइन हाजिर कर दिया था। इसके बाद जब जोधपुर से इस प्रकरण में पत्रकार मोइनुल और शिवानी की गिरफ्तारी हुई तो छुट्टी के बहाने सीआई रामचन्द्रसिंह पुलिस लाइन से फरार हो गया।
फरार होकर यह मुंबई निकल गया जहां पर एक फलैट किराए पर लेकर वहां रह रहा था। शुक्रवार शाम को पाली सदर थाने के एसएचओ देरावरसिंह सोढ़ा की टीम इस फ्लैट पर पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया। रामचंद्रसिंह को इस बार भी पुलिस के आने की सूचना मिल चुकी थी और वह भागने की फिराक में था, लेकिन पुलिस ने उसे दबोच लिया। वहीं इसी मामले में फरार चल रहे गोविंदसिंह और गोपालसिंह ढेलाणा को सब इंस्पेक्टर साबिर खान की टीम ने बडोदा से गिरफ्तार किया था। इन दोनों ने अपने ही गांव के बडोदा में काम करने वाले व्यक्ति के नाम से सिम भी ले रखी थी।
-यह है पूरा मामला
माउंटआबू में 25 जून को तत्कालीन माउण्ट आबू के थानाधिकारी रामचंद्रसिंह की मिलीभगत से पुलिस ने बड़े होटल कारोबारी विकास अग्रवाल को एक होटल में एक युवती के साथ पकड़ा और थाने ले आई और दो दिन तक अपने पास रखा। इस कारोबारी के साथ पकडी गई युवती शिवानी ने उस पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे। इस दौरान रामचंद्रसिंह यहां थानाधिकारी थे।
पुलिस ने किसी को इस प्रकरण के बारे में नहीं बताया। धीरे-धीरे यह बात सामने आई तो एसपी ने माउण्ट आबू डीएसपी प्रीती कांकाणी को इसकी जांच के आदेश दिए। डीएसपी की जांच में माउण्ट आबू थाने के तत्कालीन सीआई रामचंद्र के बदमाशों के साथ मिलकर होटल कारोबारी को ब्लैकमेल करने और तीस लाख रुपये वसूल करने के कई सबूत हाथ लगे। इसमें सामने आया कि इस गैंग ने शिवानी को होटल में व्यवसायी के साथ भेजा और फिर वहां पर तैनात सीआई रामचंद्रसिंह के माध्यम से दबिश दिला दी। प्रकरण को दर्ज नहीं किया गया और सीआई की मौजूदगी में तीस लाख रुपये में इस मामले को रफादफा किया गया।
-कई सवालों के जवाब अब आने बाकी
रामचंद्रसिंह की गिरफ्तारी के बाद बहुत सारे अनुत्तरित सवालों के जवाब मिल जाएंगे। जैसे रामचंद्रसिंह कबसे इन लोगों के साथ जुडा हुआ था, इस गैंग का मुख्य सूत्रधार वही था या कोई और, माउण्ट आबू के व्यापारियों की सूची किसने तैयार की थी, इसमें कितने लोगों को निशाना बनाने के लिए सूचीबद्ध किया हुआ था, पैसे का बंटवारा किस तरह होता था, रामचंद्रसिंह ने 13 लाख रुपये लिए थे या इससे ज्यादा या कम, रामचंद्रसिंह की यह पहली वारदात थी या इससे पहले भी वह इस तरह की गैंगों के साथ मिलकर लोगों को ब्लैकमेल कर चुका है। गोपालसिंह ढेलाणा भी राजनीतिक संपर्क वाला व्यक्ति है। इससे पूछताछ पर पैसों के लेनदेन को लेकर काफी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलने की पुलिस को संभावना हैं।
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