सिद्धार्थनगर। प्यार की खातिर युवतियां घर की दहलीज लांघ रही हैं। फैसला गलत है या सही यह परवाह किए बगैर वह कदम आगे बढ़ा रही हैं। यह हम नहीं एडीएम न्यायालय में विवाह के लिए आने वाले प्रार्थनापत्रों के आंकड़े कह रहे हैं।
हर साल आवेदन तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे लेकर एक तरफ जहां युवतियों की स्वतंत्रता की बात कही जा रही है वहीं दूसरी तरफ गांवों में तेजी से बढ़ रहे पाश्चात्य संस्कृति का असर बताया जा रहा है।
पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो कोर्ट मैरिज के लिए प्रार्थना पत्रों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। हर साल इसके घटने के बजाए बढ़े हैं। जाति-धर्म का बंधन ही नहीं अन्य कई रुढि़यां टूटने का संकेत आवंदेनो से मिल रहा है।
एडीएम न्यायालय से मिली जानकारी के मुताबिक हर वर्ष वैवाहिक आवेदनों में लगभग पचीस प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो रही है। वर्ष 2015 में जनवरी से सितम्बर माह में 198 प्रार्थनापत्र प्रस्तुत हुए हैं। नौ माह में ही जब यह आंकड़े हैं तो आनें वाले तीन माह में और तेजी से बढ़ोत्तरी हो सकती है।
विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि वर्ष 2014 में 284 प्रार्थनापत्र प्रस्तुत हुए जो वर्ष 2013 के आंकडों में लगभग 25 प्रतिशत अधिक हैं। जानकारों का कहना है कोर्ट मैरिज के लिए सबसे अधिक आवेदन वर्ष के शुरूआती और अंत के तीन माह में प्रस्तुत होते हैं। ऐसे में वर्ष 2015 के आने वाले तीन माह में आवेदनों में तेजी से बढ़ोत्तरी हो सकती है।
पंचायत में भी युवक-युवतियों के फैसलों पर मुहर
एडीएम न्यायालय में कोर्ट मैरिज के आवेदन के इतर बहुत से ऐसे मामले हें जिसमें गांव की पंचायत में ही शादी का निर्णय लिया जा रहा है। वर्ष 2015 में आधा दर्जन से अधिक मामले सामने आए हैं जिसमें युवक-युवतियों के फैसले पर गांव की पंचायत में बात बन गई है। दोनों को राजी खुशी शादी की डोर में बंधने की सामाजिक तौर पर मान्यता मिल गई है। लेकिन बहुत से ऐसे मामले न्यायालय में पहुंचते हैं जिसमें बात गांव की पंचायत में नहीं बन पाती है।
थानों पर समझौतों में भी हो रही सादियां
थानों पर समझौते के दौरान भी शादियां हो रही है। बांसी कोतवाली में छह माह में लगभग आधा दर्जन मामले सामने आए हैं जिसमें पुलिस की मशक्कत के बाद युवक-युवतियों की शादी कराई जा सकी है। गांव में मामले बिगड़ चुके थे और युवक-युवतियों को अलग करना भी किसी अनहोनी का संकेत था। ऐसे में पुलिस की पहल की प्रशंसा हुई। सदर थाना पर भी ऐसे कई मामलों में दोनों परिवारों के सामने खड़ी हुई समस्या का समाधान कराया गया। इस समस्या का समाधान युवक-युवतियों की शादी कराकर कराया गया।
घटना न हो, इसे लेकर पुलिस रहती है गंभीर
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कोई घटना न हो पुलिस इसे लेकर गंभीर रहती है। युवक-युवतियों के मामले में अक्सर स्थित संवेदनशील हो जाती है और ऐसे मामलों में काफी सामंजस्य बनाकर काम किया जाता है। समझाने बुझाने के साथ पुलिस दोनों पक्षों के अभिभावकों के रूप में भी काम करती है। एएसपी मंशा राम गौतम का कहना है कि कोई घटना न हो इसके लिए पुलिस गंभीर रहती है। इसके लिए गांवों में सूचना तंत्र भी तेज किया जाता है।