हिसार। हरियाणा के हिसार जिले में बरवाला स्थित सतलोक आश्रम के बाहर स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश पर के संत रामपाल को गिरफ्तारी के लिए सोमवार शाम पुलिस के आश्रम की ओर आगे बढ़ने पर कुछ युवकों ने आत्मदाह का प्रयास किया।
आश्रम के चारों ओर घेरा डाले बैठी पुलिस के कुछ जवानों ने शाम को जैसे की आश्रम के मुख्य द्वार की ओर बढ़ने का प्रयास तो वहां दो दर्जन से अधिक युवा अनुयायी अचानक आगे आए और उन्हाेंने अपने ऊपर तेल छिड़क लिया। जैसे ही इन्हाेंने खुद को आग लगाने की कोशिश की तो पुलिस ने बड़ी मुश्किल से इन्हे रोका तथा और फिर पुलिस इन युवाओं को वही छोड़कर वापस लौट गई।
इससे पहले हरियाणा पुलिस ने बरवाला स्थित सतलोक आश्रम के संत रामपाल के अनुयायियों को जल्द से जल्द आश्रम खाली करने का निर्देश दिया। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने संत रामपाल के विरूद्ध गैरजमानती वारंट जारी किया हुआ है और उन्हें न्यायालय में पेश कराने के प्रयास जारी हैं। हिसार के पुलिस उपायुक्त एम एल कौशिक ने कहा कि न्यायालय ने पुलिस को बाबा रामपाल को यथाशीघ्र गिरफ्तार करके उसके समक्ष पेश करने का आदेश दिया है।
पुलिस ने बाबा रामपाल के अनुयायियों को कानून व्यवस्था में बाधा न पहुंचाने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि जो भी अनुयायी शान्ति से आश्रम से बाहर आ जाएंगे उन्हें रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन पहुंचने की सुविधा दी जाएगी। यदि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा होती है तो वह बरवाला पुलिस स्टेशन में 01693-242031 या मोबाइल नम्बर 884011312 में सम्पर्क कर सकते हैं।
पुलिस सोमवार को भी बाबा को अदालत में पेश नहीं कर पाई। यह तीसरा मौका है, जब अदालत की ओर से जारी गैर जमानती वारंट के बावजूद संत रामपाल अदालत के समक्ष पेश नहीं हुए हैं। इससे पहले संत रामपाल गत पांच नवम्बर तथा इसके बाद 10 नवम्बर के लिए जारी वारंट पर भी अदालत में पेश नहीं हुए थे। अदालत ने उनके खिलाफ गत दस नवम्बर को गैर जमानती वारंट जारी कर राज्य सरकार और पुलिस महानिदेशक को उन्हें गिरफ्तार कर हर हालत में 17 नवम्बर को पेश करने का निर्देश दिए थे।
न्यायाधीश एम जयालाल और न्यायाधीश दर्शन सिंह की खंडपीठ के समक्ष बचाव पक्ष के वकील ने दलील रखी कि संत रामपाल अस्वस्थ हैं तथा उन्हें डाक्टरों ने चलने फिरने के लिए मना किया है। ऎसे में उन्हें अदालत में पेश होने के लिए शुक्रवार तक ही मोहलत दी जाए। उधर, राज्य सरकार की ओर से गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक एसएन वशिष्ठ तथा महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन अदालत में पेश हुए तथा अपना पक्ष रखते हुए कहा कि राज्य सरकार संत रामपाल को अदालत में पेश करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
उनका कहना था कि आश्रम के बाद महिलाओं और बच्चों की घेराबंदी होने के कारण पुलिस कोई जबरन कार्रवाई करने के बच रही है तथा बातचीत के जरिये रास्ता निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस मामले में अदालत के सलाहकार अनुपम गुप्ता ने कहा कि सरकार यह कह कर अपनी जिम्मेदारी नहीं बच सकती कि आश्रम के बाहर महिलाओं और बच्चों का घेरा है। इसलिए वह संत रामपाल को पेश नहीं कर पा रही है।
उन्होंने कहा कि ऎसे में गृह सचिव और डीजीपी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए। खण्डपीठ ने तीसरे वारंट की पालना की तिथि 21 नवम्बर तय करते हुए सरकार को रामपाल की गिरफ्तारी के सिलसिले में पुलिस बन्दोबस्त पर हुए खर्च का ब्यौरा पेश करने का भी आदेश दिया, ताकि इसकी वसूली भी संत से की जा सके।