कोटा/नई दिल्ली। कश्मीर में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान नौ गोलियां लगने के बाद 16 दिनों तक कोमा में रहे सीआरपीएफ के कमांडर चेतन चीता ‘चमत्कारिक’ रूप से अपनी चोट से उबर गए हैं और लगभग दो महीने बाद आज उन्हें एम्स से छुट्टी दे दी गई।
चीता को श्रीनगर से विमान से 14 फरवरी को एम्स के ट्रॉमा सेंटर में लाया गया था। उनका इलाज कर रहे चिकित्सकों ने बताया कि गहन चिकित्सा के दौरान उन्होंने काफी हिम्मत दिखाई। उनका इलाज करीब करीब दो महीने तक चला।
एम्स में ट्रॉमा सर्जरी के प्रोफेसर सुबोध कुमार ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। एम्स ट्रॉमा सेंटर के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक अमित गुप्ता ने कहा कि चीता 16 दिनों तक कोमा में रहे और आईएसीयू में एक महीना रहें। उन्हें आज छुट्टी दे दी गई।
गुप्ता ने कहा कि सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर को कश्मीर घाटी में उनके सिर, दाहिनी आंख, पेट, दोनों बांह, बायां हाथ और शरीर के पिछले हिस्से में गोलियां लगी थीं।
चिकित्सकों के मुताबिक चीता की दाहिनी आंख की रोशनी लौटने की उम्मीद ‘कम’ है, हालांकि उनकी बायीं आंख में भी छर्रे लगे थे लेकिन बायीं आंख की रोशनी बहाल हो गई है।
गुप्ता ने कहा कि जब उन्हें लाया गया था तब वह कोमा में थे। उनके सिर में गोली लगी थी, उनका शरीर बुरी तरह क्षतिग्रस्त था और उनकी दाहिनी आंख फूटी हुई थी।
चेतन चीता की बहादुरी की दास्तां
प्रो. सुबोध ने पिछले 1.5 महीने में उन्हें मुहैया किए गए इलाज के बारे में बताते हुए कहा कि गोली से चोटिल खोपड़ी के एक हिस्से को हटाने के लिए भर्ती किए जाने के 24 घंटे के अंदर सर्जरी की गई। इसके बाद उनकी कई सर्जरी की गई।
उन्होंने बताया कि चोट के चलते चीता के घाव के सडऩे के भी संकेत दिख, जिसे आईसीयू में विशेषज्ञों ने ठीक किया।
कमांडिंग अधिकारी की पत्नी उमा सिंह ने कहा कि सफर अभी खत्म नहीं हुआ है और उन्हें उस दिन का इंतजार है जब उनके पति अपनी वर्दी पहनेंगे और काम पर जाएंगे।
राजस्थान के रहने वाले चीता का 14 फरवरी को आतंकवादियों से सामना हाजन इलाके में एक मुठभेड़ में हुआ था। उस वक्त सेना, सीआरपीएफ और राज्य पुलिस की एक संयुक्त टीम ने दो विदेशी आतंकवादियों के इलाके में छिपे होने की खुफिया जानकारी मिलने के बाद घेरा डाला था।
एम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि उनका सामान्य जीवन में लौटना एक योद्धा का असली साहस है।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अधिकारी के साहस की ट्विटर पर प्रशंसा की और कहा कि वह चीता को वापसी करते देखना चाहते हैं। मंत्री ने कहा कि किस्मत बहादुर लोगों का साथ देती है। चीता के स्वास्थ्य में चमत्कारिक रूप से सुधार होने की बात जान कर बहुत खुश हूं।
उन्होंने कहा कि मैं उन चिकित्सकों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने चेतन चीता को ठीक करने में मदद की। चीता की जल्द वापसी की उम्मीद करता हूं।
गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू यहां एम्स ट्रॉमा सेंटर में अधिकारी से मिलने गए और उनसे बात की। उन्होंने कहा कि उन्हें इस अधिकारी पर गर्व है।
पूरा भरोसा था चेतन चीता जीतेंगे मौत से जंग : पत्नी
डॉक्टर जिसमें फिर से जान फूंकने के लिए अपने कर्तव्य के तहत जी जान से जुटे थे उन्हीं सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता के बगल में इस अटल भरोसे के साथ उनकी पत्नी उमा सिंह खड़ी थीं कि चीता मौत के खिलाफ अपनी ये जंग जरूर जीतेंगे।
नौ गोलियां लगने के बाद भी चीता का बच जाना एम्स ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन उनकी पत्नी का कहना है कि उन्हें पक्का विश्वास था कि वह जरूर मुकाबला कर लौटेंगे जैसा उन्होंने आतंकवादियों के सामने किया था।
सैन्य अफसर की बेटी उमा अपने स्कूल के दिनों से ही चीता को जानती थीं। उन्होंने कहा कि वह एक योद्धा और प्रतिबद्धताओं वाले शख्स हैं।
उमा ने कहा कि वह एक योद्धा हैं। उन्होंने मौत के साथ यह जंग वैसे ही लड़ी जैसे वह तब लड़ते थे जब वर्दी पहनकर आतंकवादियों और उग्रवादियों के खिलाफ उतरते थे। मुझे पूरा विश्वास था कि वह इस जंग में भी विजयी होंगे जैसा हमेशा अपने कर्तव्य पथ पर रहते हैं।
अस्पताल के कर्मचारी जब चीता की अस्पताल से छुट्टी की औपचारिकताएं पूरी कर रहे थे तब उमा याद कर रही थीं जब उनके पति गंभीर रूप से घायल हुए थे। वह श्रीनगर एयरपोर्ट से एयर एंबुलेंस में एम्स लाते वक्त उनके साथ थीं।
दो बच्चों की मां उमा ने कहा कि उनकी आंखें बंद थीं, वह पूरी तरह बेहोश थे लेकिन जिस समय मैंने उनकी सांस चलती हुई देखी, मैं जान गई कि वे ये जंग जरूर जीत लेंगे।